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आज़ाद मैदान पर मराठा आंदोलन, लेकिन इतिहास में यहीं हुआ था 'मराठा डिच' का निर्माण।


मुंबई। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हाल ही में मराठा नेता मनोज जरांगे-पाटिल ने दक्षिण मुंबई के आज़ाद मैदान में आंदोलन किया। ironical बात यह है कि जिस जगह हजारों मराठा समाज के लोग एकत्र हुए, वहीं कभी ब्रिटिश काल में "मराठा डिच" (Maratha Ditch) मौजूद था—जिसे अंग्रेजों ने मराठाओं के हमले से बचने के लिए बनवाया था।

मुंबई की शुरुआत पुर्तगालियों से

मुंबई की आधुनिक नींव पुर्तगाली डॉक्टर और वनस्पति वैज्ञानिक गार्सिया द ऑर्टा ने रखी थी। 1554 में उन्होंने पुर्तगालियों से ‘बोम्बईम’ द्वीप पट्टे पर लेकर यहां "मैनर हाउस" बनाया। यह द्वीप सात टापुओं में से एक था।

1665 में इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय ने पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन ऑफ ब्रगेंज़ा से विवाह किया, और बतौर दहेज ये द्वीप ब्रिटेन को मिल गए। बाद में ब्रिटिश क्राउन ने इन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी को महज़ 10 पाउंड वार्षिक किराए पर दे दिया—दुनिया का सबसे सस्ता रियल एस्टेट सौदा माना जाता है।

शिवाजी महाराज के कारण बढ़ा बंबई का महत्व

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा सूरत पर हमलों के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना व्यापारिक मुख्यालय वहां से हटाकर बंबई कर लिया। गवर्नर गेराल्ड ऑन्ज़ियर (1672–75) ने यहां किलेबंदी करवाई और "भंडारी मिलिशिया" नामक बल बनाया, जो बाद में मुंबई पुलिस का स्वरूप बना।

1715 में गवर्नर चार्ल्स बून ने पूरे शहर के चारों ओर मजबूत दीवार और किलेबंदी की। यह इलाका बाद में बॉम्बे फोर्ट कहलाया।

मराठों के डर से बनी खाई

1739 में पेशवा बाजीराव प्रथम के भाई चिमाजी अप्पा ने वसई का किला पुर्तगालियों से छीन लिया। इससे घबराकर अंग्रेजों ने 1743 में बंबई किले के चारों ओर खाई (ditch) खुदवाना शुरू किया, ताकि मराठा हमले रोके जा सकें।

व्यापारियों ने इसके लिए 30,000 रुपये की स्वेच्छा राशि दी और 1% व्यापार कर भी लगाया गया। इस खाई को "मराठा डिच" कहा गया। दिलचस्प बात यह है कि इसी तरह की खाई कलकत्ता के फोर्ट विलियम के चारों ओर भी बनाई गई थी।

मराठा डिच से दुर्ग मजबूत लेकिन स्वास्थ्य संकट

इस खाई ने किले को बेहद मजबूत बना दिया। लेकिन समय के साथ स्थानीय लोग इसे कचरा और गंदगी फेंकने की जगह बनाने लगे। गर्मियों में सड़ांध के कारण अंग्रेज अफसर टेंट लगाकर ‘एज्पलानाड’ (आज का आज़ाद मैदान, क्रॉस मैदान, ओवल मैदान) में रहने चले जाते थे।

दीवारें गिरीं, शहर फैला

1818 में मराठाओं की शक्ति खत्म हो गई। 1862 में गवर्नर बार्टल फ्रेयर ने किलेबंदी हटाने और खाई भरने का आदेश दिया। 1867 तक ‘मराठा डिच’ पूरी तरह भर दी गई। इसके बाद मुंबई तेजी से फैली और भारत की आर्थिक राजधानी बन गई।

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