— NGO ने जांच में निष्पक्षता और सुरक्षा की मांग ।
मुंबई, 8 अक्टूबर 2025 — चेंबूर के माहुल क्षेत्र में एजिस लॉजिस्टिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही पेट्रोलियम टर्मिनल परियोजना एक बार फिर विवादों में घिर गई है। स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों (NGO) ने कंपनी पर पर्यावरणीय नियमों, कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन (CRZ) अधिनियम और अन्य पर्यावरणीय कानूनों के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है।
सूत्रों के अनुसार, जिलाधिकारी एवं उपविभागीय अधिकारी के निर्देश पर तहसीलदार कुर्ला ने 9 अक्टूबर 2025 को परियोजना स्थल पर संयुक्त निरीक्षण का आदेश जारी किया है। इस निरीक्षण में RCF पुलिस, BMC, वन विभाग, ग्राम महसूल अधिकारी सहित कई सरकारी विभागों के अधिकारी शामिल होंगे।
NGO प्रतिनिधि संदीप शुक्ला ने आशंका जताई है कि पहले की तरह इस बार भी एजिस लॉजिस्टिक्स के अधिकारी और उनके कथित सहयोगी शिकायतकर्ताओं को डराने-धमकाने या जांच में बाधा डालने की कोशिश कर सकते हैं। इसी कारण NGO समूह ने RCF पुलिस थाने को पत्र भेजकर पर्याप्त सुरक्षा की मांग की है ताकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो सके।
NGO ने यह भी आरोप लगाया है कि 26 सितंबर 2025 को हुई पिछली जांच के दौरान पुलिस की अनुपस्थिति से कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े हुए थे। वहीं, NGO का कहना है कि Google सैटेलाइट मैप पर निर्माणाधीन टर्मिनल की अदृश्यता यह संकेत देती है कि अवैध निर्माण को जानबूझकर छिपाया जा रहा है।
स्थानीय NGO समूह ने परियोजना में कथित भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और कुछ सरकारी विभागों की पक्षपातपूर्ण भूमिका पर भी चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले को अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), पुणे खंडपीठ में ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
यदि जांच में NGO के आरोप सही पाए गए, तो एजिस लॉजिस्टिक्स लिमिटेड को भारी आर्थिक दंड और अन्य कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में कंपनी की दो इकाइयों — सी लार्ड यूनिट और एजिस लॉजिस्टिक यूनिट — पर भी ऐसे ही आरोप लग चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार, NGO समूह के कुछ सदस्य जो विधिक विशेषज्ञ हैं, वे अब भारतीय नागरिक संहिता (BNSS) की धारा 175 के तहत कुर्ला न्यायालय में फौजदारी याचिका दायर करने की तैयारी में हैं। यदि न्यायालय FIR दर्ज करने का आदेश देता है, तो कंपनी के निदेशकों, अधिकारियों, ठेकेदारों और संबंधित माफिया तत्वों पर आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है। इसके बाद गिरफ्तारी, उपकरणों की जब्ती और अन्य जांच कार्रवाई भी संभव होगी।
इस बीच, महाराष्ट्र विधानसभा के उपसभापति द्वारा समुद्री क्षेत्र से मिट्टी और कचरा हटाने के लिए एक माह की समयसीमा तय की गई थी, परंतु अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं और NGO में गहरी नाराजगी और अविश्वास का माहौल है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एजिस लॉजिस्टिक्स लिमिटेड इन आरोपों से बचकर परियोजना को पूरा करने में सफल होती है, या फिर कानून के तहत जवाबदेही तय की जाएगी। फिलहाल, NGO समूह ने स्पष्ट कहा है कि वे इस मामले को अंतिम रूप से न्याय के कटघरे तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
0 टिप्पणियाँ