प्रवर्तन निदेशालय ने ₹45.26 करोड़ की संपत्ति सेवा विकास सहकारी बैंक के जमाकर्ताओं को लौटाई
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सेवा विकास सहकारी बैंक घोटाले से जुड़े मामले में अहम कदम उठाते हुए सागर सूर्यवंशी समूह की ₹45.26 करोड़ की चल संपत्तियों को बैंक के परिसमापक (लिक्विडेटर) को सौंप दिया है। यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 8(8) के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य बैंक के जमाकर्ताओं को उनकी मेहनत की कमाई वापस दिलाना है।
क्या है पूरा मामला?
ईडी की जांच में पता चला कि सेवा विकास सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन, अमर मुलचंदानी, ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बैंक के नियमों को ताक पर रखकर कई लोगों को कर्ज दिए। इनमें से एक आरोपी, सागर सूर्यवंशी, ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों/संस्थाओं के नाम पर कुल 10 ऋण लिए, जिनकी राशि ₹41.42 करोड़ थी। इन पैसों का इस्तेमाल विभिन्न संपत्तियां खरीदने के लिए किया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि इन ऋणों का पैसा अन्य आरोपियों और उनकी कंपनियों को भी भेजा गया, जिसे बाद में नकद में निकाला गया या निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया। इस धोखाधड़ी के कारण, ये सभी 10 ऋण विलफुल डिफॉल्ट (जानबूझकर चूक) के कारण गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गए और 31 मार्च, 2021 तक इन पर बकाया राशि बढ़कर ₹60.67 करोड़ हो गई।
ईडी की कार्रवाई और अदालत का फैसला
इस मामले में, ईडी ने सागर सूर्यवंशी समूह की संपत्तियों को पीएमएलए की धारा 5 के तहत कुर्क कर लिया था और 19 मई, 2023 को माननीय विशेष पीएमएलए अदालत में अभियोजन शिकायत (प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट) दायर की।
बैंक के परिसमापक ने जमाकर्ताओं के हित में पीएमएलए की धारा 8(8) के तहत एक याचिका दायर की थी, जिसमें इन संपत्तियों को वापस लौटाने का अनुरोध किया गया था। जमाकर्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए, ईडी ने इस याचिका का समर्थन किया और अदालत में एक हलफनामा (एफिडेविट) दायर किया। ईडी के इस सकारात्मक रुख के बाद, माननीय विशेष पीएमएलए अदालत ने ₹45.26 करोड़ की संपत्तियों को बैंक के परिसमापक को सौंपने का आदेश दिया, ताकि इन्हें वैध और वास्तविक जमाकर्ताओं को वापस किया जा सके।
यह कदम दर्शाता है कि भारत सरकार और जांच एजेंसियां वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में आम नागरिकों और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई बैंक में जमा की थी।
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