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नौसेना भर्ती पेपर लीक प्रकरण : पूर्व कमांडर और कोचिंग क्लास संचालक दोषी करार।


मुंबई |

विशेष सीबीआई अदालत ने वर्ष 2010 में दर्ज नौसेना भर्ती पेपर लीक प्रकरण में मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने आईएनएस आंग्रे के पूर्व कमांडर रमेश चंद मांगे राम सैनी और ‘मानसा इंटरनेशनल’ कोचिंग क्लास के मालिक रामबीर रावत को दोषी ठहराते हुए तीन-तीन साल की सज़ा और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। हालांकि दोनों की सज़ा फिलहाल निलंबित कर दी गई है और उन्हें अपील दायर करने के लिए जमानत पर रिहा किया गया।

सीबीआई की छापेमारी से खुला मामला

सीबीआई को जानकारी मिली थी कि भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक कर इच्छुक उम्मीदवारों को एक लॉज में पढ़ाया जा रहा है। 25 और 26 सितंबर 2010 की दरमियानी रात को सीबीआई ने छापा मारकर प्रश्नपत्र, उत्तर लिखे पन्ने, नकद राशि और कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद किए थे।

पेपर सेटिंग और प्रिंटिंग में गड़बड़ी

नौसेना में एलडीसी और स्टेनोग्राफर पदों की भर्ती परीक्षा के लिए गठित बोर्ड की अध्यक्षता सैनी कर रहे थे। जांच में सामने आया कि अन्य सदस्यों की राय लिए बिना अंतिम प्रश्नपत्र सैनी ने ही तैयार किया था। वहीं, प्रशासनिक अधिकारी रामचंद्र नाइक के कहने पर पेपर छपाई का ठेका पुणे की ‘अथर्व कंसल्टेंसी एंड एलाइड सर्विसेज़’ को बिना निविदा निकाले दिया गया।

प्रिंटिंग फर्म से हुआ लीक

सीबीआई ने आरोप लगाया कि प्रश्नपत्र की छपाई के दौरान नाइक और सैनी मौजूद थे। यहीं से अथर्व कंसल्टेंसी के मालिक विकस ठाकुर ने पेपर रामबीर रावत तक पहुंचाया। जांच में सामने आया कि रावत ने नाइक को पेपर लीक कराने के एवज़ में 11.52 लाख रुपये दिए थे, जिससे उसने खारघर में फ्लैट खरीदा।

अदालत का फैसला

सीबीआई ने इस मामले में कुल छह लोगों को आरोपी बनाया और 66 गवाह पेश किए। लेकिन विशेष सीबीआई न्यायाधीश अमित खारकर ने सबूतों के आधार पर केवल रावत और सैनी को दोषी माना। अदालत ने स्पष्ट कहा कि रावत की अकादमी से मिले प्रश्नपत्र वही हैं, जिन्हें सैनी ने तैयार किया था। वहीं, नाइक को अदालत ने बरी करते हुए कहा कि वह केवल सैनी के साथ मौजूद था, उसकी कोई स्वतंत्र भूमिका नहीं थी।


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