मुंबई। विशेष भ्रष्टाचार निवारण अदालत ने खेरवाड़ी पुलिस थाने में तैनात रहे पुलिस उपनिरीक्षक श्याम हरी आयरे को पाँच साल पुराने रिश्वत मामले में बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि आरोपी ने वास्तव में रिश्वत की मांग की थी और उसे स्वीकार भी किया था।
शिकायतकर्ता ने नहीं दिया साथ
मामले के अनुसार, 7 फ़रवरी 2019 को शिकायतकर्ता को खेरवाड़ी पुलिस स्टेशन से फोन आया और उसे थाने बुलाया गया। शिकायतकर्ता का आरोप था कि थाने पहुँचने पर आयरे ने उसे गिरफ़्तार करने की धमकी दी और कहा कि जमानत 90 दिन तक नहीं मिलेगी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आयरे ने उससे 50 हज़ार रुपये की मांग की थी।
शिकायतकर्ता का कहना था कि उसने 12 फ़रवरी 2019 को 10 हज़ार रुपये दिए और बाकी राशि बाद में देने की बात कही। इसके बाद उसने एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक विभाग) से शिकायत की और आयरे को कथित तौर पर रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।
हालाँकि, अदालत में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता (PW2) ने न तो आयरे की पहचान की और न ही रिश्वत की मांग व स्वीकृति की पुष्टि की। अदालत ने कहा कि सबूतों के अभाव में अभियोजन आरोप सिद्ध नहीं कर सका, जिसके चलते आरोपी को बरी किया जाता है।
निलंबन और हत्या के मामले में नामज़दगी
रिश्वत के इस प्रकरण के बाद आयरे को तत्काल निलंबित कर दिया गया था। निलंबन की अवधि के दौरान ही जून 2019 में घाटकोपर पुलिस थाने में दर्ज एक हत्या के मामले में भी उनका नाम सामने आया था।
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