मुंबई: आजकल सोशल मीडिया और यूट्यूब पर इंफ्लुएंसर्स तरह-तरह की वित्तीय सलाह देते हैं। कोई म्यूचुअल फंड या एसआईपी में निवेश की बात करता है तो कोई अतिरिक्त ईएमआई डालने का सुझाव देता है। लेकिन मुंबई के एक लोन कंसल्टेंट की रेडिट पोस्ट ने होम लोन लेने वालों को एक बेहद सीधी और व्यावहारिक रणनीति बताई है, जिससे लाखों रुपये का ब्याज बचाया जा सकता है।
कंसल्टेंट, जिनका दावा है कि उनके 60 से ज्यादा बैंकों और एनबीएफसी से टाई-अप हैं, का कहना है कि म्यूचुअल फंड में निवेश कर ब्याज बचाने वाली रणनीति व्यवहार में उतनी आसान नहीं होती। असली समझदारी है होम लोन के बेंचमार्क जैसे RBLR (Repo Based Lending Rate) या RLLR (Repo Linked Lending Rate) को समझने में और यह सुनिश्चित करने में कि ब्याज दर की रीसेट अवधि मासिक या तिमाही हो, सालाना नहीं।
लेकिन उनकी सबसे अहम सलाह है होम लोन ओवरड्राफ्ट (OD) प्रोडक्ट का इस्तेमाल। एसबीआई के "मैक्सगैन" स्कीम से लोग वाकिफ हैं, लेकिन यह सुविधा ज्यादातर बैंकों में उपलब्ध है। इसमें ब्याज दर सामान्य होम लोन से थोड़ी ज्यादा होती है, लेकिन इसका फायदा ये है कि आप अपनी अतिरिक्त रकम लोन खाते में पार्क कर सकते हैं। इससे ब्याज का बोझ घट जाता है और पैसे भी पूरी तरह तरल (लिक्विड) बने रहते हैं।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी ने ₹1 करोड़ का लोन लिया है और उसकी ईएमआई ₹1 लाख है, जिसमें ₹90,000 ब्याज और ₹10,000 मूलधन है। अगर वही व्यक्ति ₹1 करोड़ रुपये एक महीने के लिए OD खाते में पार्क कर देता है, तो उस महीने का पूरा ब्याज घट जाएगा और पूरी ईएमआई मूलधन की अदायगी में जाएगी। जरूरत पड़ने पर वह पैसा कभी भी वापस निकाला जा सकता है।
कंसल्टेंट का कहना है कि थोड़ी सी वित्तीय अनुशासन और मनी रोटेशन की समझ से लोग न सिर्फ सालों पहले लोन चुकता कर सकते हैं बल्कि लाखों रुपये का ब्याज भी बचा सकते हैं। उनका दावा है – “लोगों ने होम लोन OD पर ही करोड़ों का बिज़नेस खड़ा कर लिया है। यह तरीका म्यूचुअल फंड पर रिटर्न के पीछे भागने से कहीं ज्यादा व्यावहारिक है।”
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