Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

Responsive Advertisement

फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं: महाराष्ट्र सरकार का सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण के खिलाफ़ 'विशेष अभियान'

फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं: महाराष्ट्र सरकार का सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण के खिलाफ़ 'विशेष अभियान'
मुंबई, 01 अगस्त 2025: महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी ज़मीन पर होने वाले अतिक्रमणों के खिलाफ एक बड़ा अभियान छेड़ने का ऐलान किया है, खासकर उन भूखंडों पर जो सामाजिक उद्देश्यों जैसे अस्पताल और स्कूलों के लिए पट्टे पर दिए गए थे। यह घोषणा राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने 30 जुलाई को की, जिसमें उन्होंने साफ कर दिया कि सरकार इस मामले में कोई ढिलाई नहीं बरतेगी।

क्या है सरकार का लक्ष्य?

इस 'विशेष अभियान' का मुख्य लक्ष्य उन सभी उल्लंघनों का आकलन करना है, जहाँ सरकारी ज़मीन का दुरुपयोग किया गया है। अक्सर देखा गया है कि सामाजिक कार्यों के लिए आवंटित भूखंडों पर व्यावसायिक निर्माण कर लिए जाते हैं, या उन्हें किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मूल सामाजिक उद्देश्य ही खत्म हो जाता है।

मामला-दर-मामला होगा निस्तारण, कोई 'ब्लैंकेट रिलीफ' नहीं

मंत्री बावनकुले ने स्पष्ट किया कि यद्यपि कुछ मामलों में जुर्माने के साथ अतिक्रमण को नियमित करने की संभावना हो सकती है, लेकिन यह 'ब्लैंकेट रिलीफ' यानी सभी मामलों पर एक साथ लागू होने वाली छूट नहीं होगी। प्रत्येक मामले की व्यक्तिगत रूप से जांच की जाएगी और उल्लंघन की गंभीरता के आधार पर ही निर्णय लिया जाएगा। इसका मतलब है कि गलत काम करने वालों को पूरी तरह से बख्शा नहीं जाएगा, और सरकार सख्ती से नियमों का पालन सुनिश्चित करेगी।

क्यों ज़रूरी है यह कदम?

सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है जो न केवल राज्य के संसाधनों का दुरुपयोग करती है, बल्कि विकास परियोजनाओं और सार्वजनिक सेवाओं को भी बाधित करती है। विशेष रूप से, जब ज़मीन अस्पताल, स्कूल या अन्य जनहित के कार्यों के लिए आवंटित की जाती है और उसका दुरुपयोग होता है, तो इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ अस्पताल या स्कूल बनाने के लिए दी गई ज़मीन का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया है। इससे पहले, पिंपरी चिंचवाड़ और पुणे के खडकवासला बांध के पास भी अवैध निर्माणों पर कार्रवाई देखी गई है।

महाराष्ट्र सरकार का यह विशेष अभियान पारदर्शिता लाने और सरकारी संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि सरकार द्वारा आवंटित भूमि का उपयोग उन्हीं उद्देश्यों के लिए हो जिनके लिए उन्हें दिया गया है, और किसी भी प्रकार के उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई की जाए। यह देखना होगा कि यह अभियान कितनी प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है और यह राज्य में सरकारी ज़मीन के प्रबंधन में कितना बदलाव ला पाता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ