चुनावी सरगर्मियां तेज: नीतीश कुमार के ताबड़तोड़ ऐलान, क्या है 'सुशासन बाबू' की नई चाल?
पटना, बिहार: बिहार में आने वाले विधानसभा चुनाव की आहट साफ सुनाई दे रही है. जैसे-जैसे चुनावी बिगुल बजने का समय करीब आ रहा है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक के बाद एक लोकलुभावन घोषणाएं कर रहे हैं, जिससे प्रदेश की सियासी फिजा गरमा गई है. 'सुशासन बाबू' के नाम से मशहूर नीतीश कुमार का यह चुनावी अवतार अब चर्चा का विषय बन गया है कि आखिर इन ताबड़तोड़ ऐलानों के पीछे उनकी क्या रणनीति है? Bihar election 2025आज, 1 अगस्त 2025 को, बिहार की राजनीति में एक और बड़ी हलचल देखने को मिली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अहम घोषणा करते हुए शिक्षा विभाग में कार्यरत रसोइयों और नाइट वॉचमैन के मानदेय को दोगुना करने का ऐलान किया है. रसोइयों का मानदेय ₹1650 से बढ़ाकर ₹3300 कर दिया गया है, जबकि नाइट गार्ड को अब ₹5000 की जगह ₹10000 मिलेंगे. इसके अलावा, शारीरिक शिक्षकों और स्वास्थ्य अनुदेशकों का मानदेय भी ₹8000 से बढ़ाकर ₹16000 कर दिया गया है. यह घोषणा सीधे तौर पर हजारों परिवारों को प्रभावित करेगी और निश्चित रूप से एक बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश मानी जा रही है.election of Bihar
यह कोई पहला मौका नहीं है जब चुनाव नजदीक देखकर नीतीश कुमार ने ऐसे फैसले लिए हों. हाल ही में, उन्होंने युवाओं के लिए भी नकद प्रोत्साहन योजनाओं का ऐलान किया था, जिसमें 12वीं पास छात्रों को ₹4000, ITI या डिप्लोमा धारकों को ₹5000 और इंटर्नशिप करने वाले ग्रेजुएट्स को ₹6000 प्रति माह देने की बात कही गई थी. साथ ही, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत बुजुर्गों, दिव्यांगों और विधवाओं की पेंशन को ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 प्रति माह किया गया था. इन कदमों से साफ है कि मुख्यमंत्री हर वर्ग को अपनी तरफ खींचने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं. CM Nitish kumar
हालांकि, विपक्ष इन घोषणाओं को केवल चुनावी स्टंट करार दे रहा है. उनका आरोप है कि सरकार को जब तक चुनाव सिर पर नहीं आ जाते, तब तक इन वर्गों की याद नहीं आती. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल लगातार सरकार पर शिक्षा, रोजगार और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, जातिगत जनगणना के मुद्दे को लेकर भी नीतीश कुमार की एनडीए सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है, जिसे सरकार ने हाल ही में पूरा करवाया है.
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव, जो अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने की संभावना है, राज्य की राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकते हैं. नीतीश कुमार, जिन्होंने हाल ही में राजद से गठबंधन तोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में वापसी की है, एक बार फिर सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रहे हैं. वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी और कांग्रेस का महागठबंधन भी पूरी आक्रामकता के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है.
इन सब के बीच, चुनाव आयोग द्वारा बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का पहला ड्राफ्ट जारी करना भी एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसे आज दोपहर तीन बजे वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा. विपक्ष ने इस पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे चुनावी माहौल और भी गरमा गया है.
अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार के ये चुनावी दांव कितने सफल होते हैं और क्या वे एक बार फिर 'सुशासन बाबू' की छवि को भुनाकर बिहार की सत्ता पर काबिज हो पाते हैं, या इस बार बिहार की जनता कोई नया फैसला सुनाती है. एक बात तो तय है, बिहार की राजनीति में आने वाले कुछ महीने बेहद दिलचस्प होने वाले हैं
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