मुंबई, 31 जुलाई 2025: महाराष्ट्र सरकार ने अवैध रूप से राज्य में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा प्राप्त किए गए 42,000 से अधिक फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द करने का एक बड़ा ऐलान किया है। सरकार ने इस अभियान को 15 अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जो राज्य की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्या है पूरा मामला?
पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करने का मामला गरमाया हुआ था। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि हजारों की संख्या में ऐसे फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। इन प्रमाणपत्रों का उपयोग अक्सर आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया जाता रहा है, जिससे राज्य के संसाधनों पर अनावश्यक बोझ पड़ रहा था और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा था।
सरकार की त्वरित कार्रवाई
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार (30 जुलाई) को इस महत्वपूर्ण फैसले की घोषणा करते हुए बताया कि राजस्व और स्वास्थ्य विभाग मिलकर इस अभियान पर काम करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि नायब तहसीलदारों द्वारा गैर-कानूनी तरीके से जारी किए गए ये सभी प्रमाणपत्र रद्द किए जाएंगे। एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है, जो इन फर्जी दस्तावेजों की पहचान करने और उन्हें रद्द करने की प्रक्रिया को गति देगी।
किन जिलों में सबसे ज़्यादा मामले?
सूत्रों के अनुसार, अमरावती, अकोला, मालेगांव और नागपुर जैसे जिलों में ऐसे फर्जी प्रमाणपत्रों की संख्या सर्वाधिक पाई गई है। इन क्षेत्रों में कुछ स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा था। सरकार ने उन अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है जो इस धोखाधड़ी में शामिल पाए जाएंगे। मालेगांव में दो अधिकारियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम?
यह कदम न केवल अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने में मदद करेगा, बल्कि राज्य की जनसांख्यिकी और सुरक्षा को भी सुरक्षित रखने में सहायक होगा। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नागरिकता प्राप्त करने से न केवल राज्य के संसाधनों पर दबाव पड़ता है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती पैदा करता है।
महाराष्ट्र सरकार का यह निर्णय निश्चित रूप से राज्य में अवैध घुसपैठ को रोकने की दिशा में एक बड़ा और साहसिक कदम है। 15 अगस्त की समय-सीमा के भीतर इस विशाल कार्य को पूरा करना एक चुनौती होगी, लेकिन सरकार की दृढ़ता यह संकेत देती है कि इस बार कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस अभियान को कितनी कुशलता से अंजाम दे पाती है।
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