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मुंबई में 900 मिमी बारिश से जनजीवन ठप, बीएमसी ने बताई वजह और समाधान की योजना।


मुंबई।
15 से 19 अगस्त के बीच मुंबई में महज पाँच दिनों में 900 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई। इस भारी बरसात ने सड़कों को जलमग्न कर दिया, रेलवे ट्रैक डूब गए और मिथी नदी के किनारे निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इस स्थिति पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के अतिरिक्त आयुक्त (प्रोजेक्ट्स) अभिजीत बांगड़ ने हालात, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला।


55 मिमी प्रति घंटा क्षमता, उससे अधिक बारिश बनी चुनौती

बांगड़ के अनुसार, मुंबई की नालियों की अधिकतम क्षमता 55 मिमी प्रति घंटे तक की बारिश को संभालने की है। यदि नालियां पूरी तरह साफ हों तब भी यह क्षमता 55 मिमी प्रति घंटा से अधिक नहीं है। लेकिन 18 और 19 अगस्त को कई इलाकों में एक ही दिन में 400 मिमी से ज्यादा बारिश हुई। ऐसे में नालियों और पंपिंग स्टेशन का सिस्टम भी ठप पड़ गया और शहर में व्यापक जलभराव हो गया।


कचरा और निचले इलाकों में बार-बार जलभराव

बीएमसी अधिकारी ने माना कि नालों की समय-समय पर सफाई के बावजूद लोग उनमें कचरा फेंकते रहते हैं, जिससे उनकी क्षमता घट जाती है। वहीं मुंबई के 10–15 प्रतिशत इलाके, जैसे हिंदमाता, बार-बार जलभराव का सामना करते हैं क्योंकि ये क्षेत्र निचले हैं और पानी आसानी से निकल नहीं पाता। ऐसे स्थानों पर पंपिंग व्यवस्था की गई है, लेकिन अत्यधिक बारिश में यह भी नाकाफी साबित होती है।


मिथी नदी और विहार झील से बढ़ा संकट

18 और 19 अगस्त को मिथी नदी के किनारे भीषण जलभराव हुआ। इसका कारण विहार झील का ओवरफ्लो था। झील का पानी लगातार मिथी नदी में बहता रहा और उसका स्तर 3.9 मीटर तक पहुंच गया। इससे पास की एलबीएस रोड, कुर्ला, सायन और चूनाभट्टी स्टेशन तक बाढ़ का पानी भर गया। रेलवे सेवा घंटों प्रभावित रही।


बार-बार बढ़ रहे चरम मौसम की घटनाएं

बांगड़ ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मुंबई में चरम मौसम की घटनाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। पहले सिस्टम औसत बारिश को ध्यान में रखकर बनाए जाते थे, लेकिन अब लगातार हो रही रिकार्ड बारिश ने बीएमसी को नई रणनीति अपनाने के लिए मजबूर किया है।


बीएमसी की आगामी योजना

बीएमसी ने बताया कि शहर को भविष्य में जलभराव से बचाने के लिए दो प्रकार के उपाय किए जा रहे हैं –

  • संरचनात्मक उपाय (Structural):

    • स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज (SWD) नेटवर्क की क्षमता बढ़ाना
    • बड़े पंपिंग स्टेशन लगाना
    • मिथी नदी किनारे भूमिगत जलनिकासी सुरंग का निर्माण
  • गैर-संरचनात्मक उपाय (Non-Structural):

    • मैंग्रोव बहाली
    • बायोस्वेल्स और स्पंज पार्क जैसी पर्यावरण आधारित पहलें (जैसी जापान में लागू हैं)

निष्कर्ष

मुंबई में आई हालिया बाढ़ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बदलते मौसम और लगातार बढ़ती बारिश के बीच पुराने ढांचे अब नाकाफी हो चुके हैं। बीएमसी का कहना है कि वह वैश्विक स्तर पर अपनाई जा रही तकनीकों और उपायों को लागू करने की दिशा में काम कर रही है ताकि आने वाले वर्षों में मुंबई को जलभराव से राहत मिल सके।

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