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मोदी का देशवासियों के नाम पत्र: GST के 7 साल, 'स्वदेशी' अपनाने की भावुक अपील

 


नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम एक मार्मिक पत्र लिखा है, जो सीधे तौर पर हर भारतीय के दिल से जुड़ता है। यह पत्र न केवल सरकार की आर्थिक नीतियों, विशेष रूप से GST के सफल 7 वर्षों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, बल्कि एक आत्मनिर्भर और **'विकसित भारत'** के निर्माण के लिए हर नागरिक से एक महत्वपूर्ण अपील भी करता है।



 GST: 'एक देश, एक टैक्स' ने बदली देश की तस्वीर


प्रधानमंत्री ने अपने पत्र की शुरुआत करते हुए कहा कि 7 साल पहले 1 जुलाई को 'एक देश, एक टैक्स, एक बाज़ार' के विजन के साथ **GST (वस्तु एवं सेवा कर)** लागू किया गया था। उन्होंने इसे आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार बताते हुए कहा कि इसने देश के व्यापार और अर्थव्यवस्था को सरल और पारदर्शी बना दिया है।


पीएम मोदी ने लिखा, "GST ने करोड़ों देशवासियों को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाई है।" उन्होंने बताया कि कैसे टैक्स पर टैक्स लगने (टैक्स ऑन टैक्स) की व्यवस्था खत्म होने से ज़्यादातर ज़रूरत की चीज़ें सस्ती हुई हैं, जिससे आम आदमी, खासकर गरीब और मध्यम वर्ग का पैसा बचा है। इस व्यवस्था से सबसे ज़्यादा फायदा व्यापारी, उद्यमी, युवा, महिला और किसानों को मिला है।


 अर्थव्यवस्था को मिली नई उड़ान


पत्र में इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि GST ने देश की अर्थव्यवस्था को कैसे मज़बूती दी है। पीएम ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में हमारी सरकार के प्रयासों से **25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर** आए हैं और देश में एक नया 'मिडिल क्लास' तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि ईमानदार टैक्सपेयर्स के भरोसे से ही आज देश बड़ी-बड़ी योजनाएं बना पा रहा है।


इस पत्र में 2047 तक **'विकसित भारत'** बनाने के संकल्प को दोहराया गया है और कहा गया है कि नई GST प्रणाली इस लक्ष्य को और तेज़ गति देगी।


 प्रधानमंत्री की दिल से अपील: 'स्वदेशी' अपनाएं


इस पत्र का सबसे भावुक हिस्सा वह है जहां प्रधानमंत्री ने हर देशवासी से एक व्यक्तिगत अपील की है। उन्होंने लिखा, "आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक है कि हम स्वदेशी को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।"


उन्होंने दो मुख्य बातें कहीं:


1.  **आम नागरिकों से अपील:** आप जो भी खरीदें, वह भारत में बना हो। **'मेड इन इंडिया'** उत्पादों को प्राथमिकता दें।

2.  **दुकानदारों से अपील:** अपनी दुकानों में स्वदेशी उत्पादों को प्रमुखता दें और उन्हीं को बेचें।


उन्होंने कहा, **"गर्व से खरीदें, गर्व से बेचें... वो स्वदेशी है।"** यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि देश को मज़बूत बनाने का एक मंत्र है।


अंत में, प्रधानमंत्री ने आने वाले त्योहारों का जिक्र करते हुए लिखा कि यह खरीदारी का समय है और हमें 'स्वदेशी' पर ही ज़ोर देना चाहिए। उन्होंने सभी के सपनों के साकार होने की कामना करते हुए पत्र का समापन किया। यह पत्र न केवल सरकार की उपलब्धियों को बताता है, बल्कि राष्ट्र निर्माण में जनभागीदारी के महत्व

को भी रेखांकित करता है।

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