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मुंबई में सरकारी कोटा हाउसिंग घोटाला।


मृतक की फोटो और बायोमेट्रिक का दुरुपयोग कर करोड़ों की ठगी

मुंबई : आर्थिक गुन्हे शाखा (EOW) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। आरोपी पुरषोत्तम चव्हाण ने एक मृत व्यक्ति की फोटो और बायोमेट्रिक विवरण का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये की हाउसिंग स्कीम में धोखाधड़ी की। चव्हाण ने मृतक बालुभाई भदानी की पहचान को अपनाकर खुद को मंत्रालय के राजस्व अधिकारी यशवंत पवार के रूप में प्रस्तुत किया और फर्जी सरकारी दस्तावेज़ तैयार कर कई फ्लैट बेच दिए।

चार साल तक मृतक की पहचान का दुरुपयोग

जांच में सामने आया कि चव्हाण ने मई 2021 में दिवंगत हुए बालुभाई भदानी की पहचान का लगभग चार वर्षों तक इस्तेमाल किया। दिलचस्प बात यह है कि भदानी स्वयं भी चव्हाण की ठगी का शिकार रहे। चव्हाण ने उनकी फोटो और बायोमेट्रिक का इस्तेमाल कर फर्जी सरकारी मोहर और हस्ताक्षर वाले “एग्रीमेंट फॉर सेल” दस्तावेज़ तैयार किए।

मुंबई के नामी इलाकों में फर्जी दस्तावेज़

चव्हाण ने इन फर्जी कागजातों के आधार पर वर्ली, परेल, बांद्रा, ठाणे और पनवेल में फ्लैट दिखाए। यह सभी संपत्तियाँ कथित “सरकारी कोटा हाउसिंग स्कीम” के अंतर्गत बताई गईं। यहां तक कि महाराष्ट्र सरकार के सचिव के नाम से फर्जी हस्ताक्षर वाले पत्र भी पेश किए गए।

3.65 करोड़ की ठगी

मृतक के बेटे संजय कुमार बालुभाई भदानी इस मामले में अहम गवाह बने हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चव्हाण ने उन्हें और उनके पिता को प्रभादेवी स्थित आईसीसी वन, लैंड सिटी सेंटर के 40वें माले पर फ्लैट दिलाने का झांसा देकर लगभग ₹3.65 करोड़ ऐंठ लिए। यह रकम चव्हाण के बैंक खातों में ट्रांसफर की गई, लेकिन फ्लैट का कब्जा कभी नहीं दिया गया।

व्हाट्सएप से भेजे गए फर्जी दस्तावेज़

ईओडब्ल्यू के मुताबिक, चव्हाण ने केवल स्कैन कॉपी में यह “एग्रीमेंट फॉर सेल” व्हाट्सएप से संजय कुमार के भाई रमेश भदानी को भेजा। जबकि जांच में सामने आया कि यह सभी दस्तावेज़ पूरी तरह फर्जी थे।

ईडी की छापेमारी में मिले नकली कागजात

पिछले वर्ष 19 मई को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चव्हाण की पत्नी और आईपीएस अधिकारी रश्मि करंडिकर के कोलाबा स्थित घर पर छापा मारा था। वहां से मिले फर्जी सरकारी दस्तावेज़ ईओडब्ल्यू को सौंपे गए। इन दस्तावेज़ों में मृतक भदानी की फोटो का गलत इस्तेमाल कर “यशवंत पवार” की पहचान गढ़ी गई थी।

दूसरा फर्जी अधिकारी – “नारायण सावंत”

जांच में ईओडब्ल्यू को एक और फर्जी पहचान का पता चला। आरोपी ने “नारायण सावंत” नामक एक कथित अवर सचिव का नाम गढ़ा। जांच में पुष्टि हुई कि ऐसा कोई अधिकारी अस्तित्व में ही नहीं है। आरोपी ने अलग-अलग व्यक्तियों की जानकारियों को जोड़कर यह काल्पनिक पहचान बनाई।

गैरमौजूद सहयोगी “सोहैल शेख” का बहाना

पूछताछ में चव्हाण ने जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश की और कहा कि उसके सहयोगी “सोहैल शेख” ने फर्जी दस्तावेज़ व मुहर तैयार करने में मदद की। लेकिन जब ईओडब्ल्यू ने जांच की तो पाया कि ऐसा कोई व्यक्ति मौजूद ही नहीं है। यह भी स्पष्ट हो गया कि चव्हाण ही मुख्य साजिशकर्ता है और उसने जिम्मेदारी से बचने के लिए काल्पनिक नाम गढ़ा।

आरोपी के हस्ताक्षर और फर्जी दस्तावेज़ जब्त

ईडी की कार्रवाई में चव्हाण के घर से मूल दस्तावेज़ भी जब्त किए गए। फॉरेंसिक जांच के लिए उसकी लिखावट के नमूने लिए गए। चार्जशीट में दर्ज है कि चव्हाण ने स्वयं इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने और फर्जी हस्ताक्षर बनाने की बात कबूल की है।

 यह घोटाला मुंबई में सरकारी कोटा हाउसिंग योजनाओं के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े की गहराई को उजागर करता है। ईओडब्ल्यू अब इस मामले में और भी पीड़ितों और संभावित फर्जी दस्तावेजों की तलाश कर रही है।


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