मुंबई | सोमवार – मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में सोमवार को अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वकील गुणरत्न सदावर्ते ने आरोप लगाया कि आंदोलन में राजनीतिक हस्तक्षेप साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता आंदोलनकारियों तक ट्रक के जरिए खाना-पानी पहुंचा रहे हैं। सदावर्ते ने यह भी बताया कि हाल ही में सांसद सुप्रिया सुले पर पानी की बोतल फेंकी गई थी और महिला पत्रकारों को परेशान किया गया।
अदालत ने जताई नाराजगी
मराठा पक्ष के वकील आनंद काठे ने इन आरोपों पर आपत्ति जताई, जिस पर कोर्ट ने कहा कि उन्हें इस मामले में बीच में बोलने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2024 के सरकारी नियमों के अनुसार मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जा चुका है। अब सवाल यह है कि समुदाय को यही आरक्षण चाहिए या अलग व्यवस्था। अदालत ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन इससे मुंबईकरों को परेशानी हो रही है।
भीड़ पर नियंत्रण का आदेश
कोर्ट ने साफ किया कि 5,000 से ज्यादा लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है। अगर संख्या इससे अधिक होती है तो पुलिस को कार्रवाई करनी होगी। अदालत ने सरकार से सवाल किया कि क्या मुंबई की जनता को आंदोलन खत्म होने तक परेशान रहना होगा।
जरांगे समर्थकों पर उठे सवाल
सदावर्ते ने आंदोलन को मुख्यमंत्री के मराठा न होने से जोड़ा और बीड हिंसा व पुलिस केस दर्ज न होने पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि कोर्ट परिसर के आसपास भी प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। कोर्ट ने मराठा पक्ष से पूछा कि क्या आंदोलन वाकई शांतिपूर्ण है? जिस पर उनके वकीलों ने माना कि कुछ बाहरी तत्व भी शामिल हैं जिन पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।
कोर्ट का कड़ा निर्देश
‘एएमवाई’ फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि 26 अगस्त के आदेश का उल्लंघन हुआ है। सरकार को दो दिन का समय दिया गया है कि वह स्थिति पर काबू पाए। अदालत ने आदेश दिया कि आजाद मैदान को छोड़कर बाकी जगहों से प्रदर्शनकारियों को शाम 4 बजे तक हटाया जाए। गणेशोत्सव के मद्देनजर कोर्ट ने शहर में शांति व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया।
आंदोलनकारियों का अडिग रुख
आजाद मैदान में जुटे आंदोलनकारियों ने कहा कि जब तक आरक्षण नहीं मिलेगा, वे वापस नहीं जाएंगे। एक आंदोलनकारी ने कहा – “जरांगे साहेब का साथ देने के लिए हम सब आए हैं, वे आरक्षण लेकर ही मुंबई से लौटेंगे।” दूसरे आंदोलनकारी ने दावा किया – “मराठा और कुणबी एक ही हैं, हमें हमारा हक चाहिए।”
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