मुंबई, दादर – ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर पुरानी किताबें बेचने की कोशिश में एक 47 वर्षीय गृहिणी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। ठगों ने ‘क्यूआर कोड ट्रिक’ के ज़रिये महिला से लगभग ₹1.55 लाख हड़प लिए।
किताब बेचने के बहाने जाल बिछाया
पुलिस के मुताबिक, दादर निवासी पीड़िता ने 2 सितंबर को ओएलएक्स पर अपनी बेटी की पुरानी किताबें बेचने का विज्ञापन डाला था। किताबों की कीमत लगभग ₹13,800 बताई गई थी। थोड़ी देर बाद ही उन्हें एक व्यक्ति का कॉल आया, जिसने खुद को “जयकिशन बुक स्टोर” का कर्मचारी बताया और कहा कि वह सभी किताबें खरीदना चाहता है।
क्यूआर कोड स्कैन करते ही खाते से पैसे गायब
ठग ने महिला को पेमेंट भेजने का बहाना बनाकर एक QR कोड भेजा और कहा कि उसे स्कैन करने से पैसे उनके खाते में आ जाएंगे। महिला जैसे ही कोड स्कैन करती और अपना UPI पिन डालती, पैसे उनके खाते से कट जाते।
पहले ही प्रयास में ₹13,800 उड़ गए। जब महिला ने सवाल किया तो ठग ने इसे "तकनीकी गलती" बताकर दोबारा स्कैन करने को कहा। इस तरह महिला ने बार-बार ठगों के कहने पर कोड स्कैन किए और अलग-अलग खातों में कुल ₹1,54,899 गंवा दिए।
‘बड़े साहब’ बनकर किया और भी भरोसा
ठगों ने महिला को भ्रमित करने के लिए एक और व्यक्ति को कॉल पर जोड़ा, जिसने खुद को "बड़े साहब" बताया। उसने भरोसा दिलाया कि स्कैन करने पर उनका पैसा वापस आ जाएगा। लेकिन हर बार नए क्यूआर कोड से सिर्फ नुकसान ही बढ़ता गया।
पुलिस में शिकायत दर्ज
महिला को ठगी का अहसास अगले दिन हुआ। उन्होंने तुरंत बैंक और फिर राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर शिकायत की। 11 सितंबर को दादर पुलिस थाने में आधिकारिक एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
क्या है ‘QR कोड ट्रिक’?
साइबर ठग अक्सर खुद को खरीदार या भेजने वाला बताकर पीड़ित को एक QR कोड भेजते हैं। वे दावा करते हैं कि कोड स्कैन करने से पैसे मिलेंगे। लेकिन असल में, वह कोड पैसे भेजने के लिए होता है। जैसे ही पीड़ित UPI पिन डालता है, उसके खाते से पैसा निकलकर ठगों के खाते में चला जाता है।
पुलिस की सलाह
- किसी भी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए QR कोड को कभी स्कैन न करें।
- किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।
- साइबर ठगी होने पर तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
- पुलिस के अनुसार, ठगी के बाद पहले दो घंटे “गोल्डन आवर” माने जाते हैं। उसी समय शिकायत करने पर पैसे फ्रीज़ कराए जाने की संभावना सबसे अधिक रहती है।
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