Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

Responsive Advertisement

भारतीय रेल के सफर में ऐतिहासिक सुधार: दुर्घटनाओं में भारी कमी

भारतीय रेल के सफर में ऐतिहासिक सुधार: दुर्घटनाओं में भारी कमी


नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक सुधार किया है, जिसका सीधा असर ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या में भारी कमी के रूप में देखा जा रहा है। रेल मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति और संसदीय रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से 2014 के बीच हुई 1,711 बड़ी रेल दुर्घटनाओं की तुलना में 2024-25 में यह संख्या घटकर सिर्फ 31 रह गई है। यह सुधार रेलवे द्वारा अपनाए गए आधुनिक तकनीकी उपायों और सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल का परिणाम है।

कवच और तकनीकी उन्नयन का कमाल

सुरक्षा के इस नए युग में "कवच" नामक स्वदेशी टक्कर-रोधी प्रणाली की अहम भूमिका है। यह एक अत्याधुनिक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है, जिसे लोको पायलट की अलर्टनेस सुनिश्चित करने और दुर्घटना की स्थिति में ट्रेन को स्वचालित रूप से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वर्तमान में, कवच प्रणाली को 1,500 से अधिक रूट किलोमीटर पर सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है और इसे देश के प्रमुख रेलवे गलियारों पर भी तेजी से बढ़ाया जा रहा है।

आंकड़ों की जुबानी सफलता की कहानी

रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा संसद में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, यह सुधार सिर्फ दुर्घटनाओं की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण सुरक्षा मानकों में भी दिखाई देता है:


  • दुर्घटना प्रति दस लाख ट्रेन किलोमीटर (Accidents Per Million Train Kilometres): इस महत्वपूर्ण सुरक्षा सूचकांक में 2014-15 के 0.11 से 73% की गिरावट के साथ 2024-25 में 0.03 तक का सुधार दर्ज किया गया है।

  • फॉग सेफ्टी डिवाइस: कोहरे में ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए उपयोग किए जाने वाले फॉग सेफ्टी डिवाइस की संख्या 2014 के 90 से बढ़कर 2025 में 25,939 हो गई है, जो कि लगभग 288 गुना वृद्धि है।

  • रेल फ्रैक्चर में कमी: रेल फ्रैक्चर, जो अक्सर बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, उनकी संख्या में 2013-14 के 2,548 से 88% से अधिक की कमी आई है, और 2024-25 में यह संख्या 289 रह गई है।

अन्य सुरक्षा उपाय

इन तकनीकी सुधारों के अलावा, रेलवे ने कई अन्य क्षेत्रों में भी काम किया है:

  • इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग: स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणालियों की संख्या में चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जिससे सिग्नलिंग में मानवीय त्रुटियों की संभावना कम हुई है।

  • अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन (USFD): वेल्ड की गुणवत्ता की जांच के लिए अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन टेस्टिंग दोगुनी कर दी गई है।: ब्रॉड गेज रूट पर सभी मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को जनवरी 2019 तक पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।

इन सभी उपायों ने मिलकर भारतीय रेलवे को न केवल तेज, बल्कि अधिक सुरक्षित भी बना दिया है। यह एक नई दिशा में बढ़ते हुए रेलवे के प्रयासों को दर्शाता है, जिसका सीधा लाभ करोड़ों यात्रियों को मिल रहा है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ