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मुंबई: निजी बैंक कर्मी डॉली कोटक गिरफ्तार, झूठे बलात्कार मामले में ₹1 करोड़ की उगाही का आरोप।



मुंबई – निजी बैंक में कार्यरत डॉली कोटक को उनके पूर्व प्रेमी, एक आईटी प्रोफेशनल, के खिलाफ झूठा बलात्कार केस दर्ज कराकर ₹1 करोड़ की उगाही करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस मामले में उनके भाई और तीन बैंक कर्मचारियों सहित कुल छह लोग आरोपी हैं। आरोप है कि इन्होंने पीड़ित के निजी और वित्तीय डाटा तक अवैध रूप से पहुंच बनाई, जिससे उसकी गिरफ्तारी, लंबे समय तक उत्पीड़न और अंततः नौकरी छूटने तक की नौबत आई।

₹1 करोड़ की उगाही और डेटा चोरी का आरोप

अदालत में सुनवाई के दौरान डॉली कोटक ने पीड़ित की बहन से ₹1 करोड़ की मांग की और वादा किया कि पैसे मिलने पर वह ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ देकर मामले को खत्म कर देंगी। पैसे न मिलने पर उन्होंने लगातार फोन कॉल और धमकी भरे संदेश भेजने शुरू कर दिए, जिनमें एक संदेश था – "तुम कभी नहीं जीतोगे और दर्द में मरोगे। पैसे दो या जेल में मर जाओ।"

कोटक, उनके भाई सागर, और तीन बैंक कर्मचारियों – हर्ष श्रीवास्तव और अनंत रूइया (एचडीएफसी बैंक) तथा जयेश गायकवाड़ (आईसीआईसीआई बैंक) – पर आरोप है कि उन्होंने पीड़ित के बैंक खातों और ईमेल से जुड़े मोबाइल नंबर में बदलाव किया, उसकी जीपीएस लोकेशन, खर्च का रिकॉर्ड, तस्वीरें और निजी संचार तक बिना अनुमति पहुंच बनाई।

पृष्ठभूमि: रिश्ते से लेकर गिरफ्तारी तक

2017 से पीड़ित और डॉली कोटक के बीच आपसी सहमति से संबंध थे। अलगाव के बाद 2023 में कोटक ने झूठा बलात्कार मामला दर्ज कराया, जिसके चलते पीड़ित को एक महीने जेल में रहना पड़ा। जमानत के बाद भी उत्पीड़न जारी रहा, यहां तक कि उनके नियोक्ता को बदनाम करने वाले ईमेल भेजे गए, जिसके चलते पीड़ित को मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा।

न्यायालय के आदेश पर FIR

पीड़ित द्वारा की गई पुलिस शिकायतों को नजरअंदाज किए जाने के बाद उन्होंने बोरीवली मजिस्ट्रेट से गुहार लगाई। अदालत ने चर्कोप पुलिस को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 175(3), आईटी एक्ट और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया। फिलहाल, कोटक, उनके भाई और तीन बैंक कर्मचारियों समेत एक मित्र के खिलाफ जांच चल रही है।

डेटा प्राइवेसी और कानून के दुरुपयोग पर सवाल

यह मामला दिखाता है कि किस तरह कानूनी प्रक्रिया और डिजिटल डेटा का दुरुपयोग करके किसी की ज़िंदगी बर्बाद की जा सकती है। जबकि यौन अपराधों के वास्तविक पीड़ितों की सुरक्षा अत्यंत जरूरी है, वहीं इस तरह के मामलों में कानून के दुरुपयोग को रोकने और लोगों की डिजिटल प्राइवेसी की रक्षा के लिए मजबूत व्यवस्था की आवश्यकता है।



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