पुलिस का आदेश: प्रतिबंधित दवाओं की अवैध बिक्री रोकने के लिए सख्ती
मुंबई पुलिस ने शहर और उपनगरों में मौजूद मेडिकल और फार्मेसी स्टोरों को एक महीने के भीतर दुकान के प्रवेश और निकासी द्वारों, साथ ही काउंटरों पर CCTV कैमरे लगाने का आदेश दिया है। यह आदेश प्रतिबंधित दवाओं की अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
एंटी नारकोटिक्स सेल (ANC) के डीसीपी नवनाथ ढवले द्वारा जारी इस निर्देश में चेतावनी दी गई है कि आदेश का पालन न करने पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 152 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
केमिस्ट बोले- आदेश प्रभावी नहीं, छोटे व्यापारियों पर आर्थिक बोझ
मुंबई रिटेल एंड डिस्पेंसिंग केमिस्ट असोसिएशन (RDCA) और ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर्स फाउंडेशन (AFDLHF) ने इस आदेश पर आपत्ति जताई है।
प्रसाद दानवे, अध्यक्ष, RDCA ने कहा,
"मुंबई में करीब 7,000 और MMR में 25,000 से अधिक मेडिकल दुकानें हैं। यह आदेश छोटे व्यापारियों पर आर्थिक दबाव डालने वाला है।"
दानवे ने सवाल उठाया कि केवल CCTV कैमरे लगाकर यह कैसे तय किया जाएगा कि कोई व्यक्ति दवाओं का दुरुपयोग कर रहा है या नहीं, खासकर जब आजकल लोग दवाएं ऑनलाइन भी खरीदते हैं।
"पुराने मरीजों को हर बार पर्ची लाना संभव नहीं"
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई मरीज पहले सही पर्चे के साथ दवा खरीद चुका है, तो अगली बार वह पर्ची लाना जरूरी नहीं समझता। ऐसे में कैमरे देखकर यह कैसे साबित होगा कि दवा बिना पर्चे दी गई है?
दानवे का कहना है कि पुलिस जिन दवाओं की बात कर रही है, वे केवल NDPS लाइसेंस धारक मेडिकल स्टोर ही बेच सकते हैं — और मुंबई में ऐसे केवल 15-20 दुकानें हैं, जो पहले से हर दवा की बिक्री का रिकॉर्ड रखते हैं।
"CCTV से सच्चाई नहीं पता चलेगी, नियमित जांच ही समाधान"
AFDLHF के अध्यक्ष अभय पांडे ने बताया कि 2020 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, पुलिस अकेले ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत FIR दर्ज नहीं कर सकती। उन्होंने कहा,
“अवैध बिक्री रोकने का असली समाधान पुलिस और FDA की संयुक्त छापेमारी में है। ज्यादातर शिकायतें बिना लाइसेंस वाले फार्मासिस्ट को लेकर आती हैं।”
उन्होंने CCTV की सीमा भी बताई – अधिकतर दुकानें 1 महीने से अधिक की फुटेज नहीं रखतीं और कैमरे से यह देखना संभव नहीं कि कौन सी दवा बेची गई, क्योंकि स्ट्रिप पर लिखा गया टेक्स्ट बहुत छोटा होता है।
निष्कर्ष: इरादा सही, उपाय अधूरा
पांडे ने माना कि पुलिस का उद्देश्य अच्छा है, लेकिन इसके परिणाम सीमित हैं। उनका कहना है कि यदि वाकई सुधार चाहिए, तो प्रशिक्षित फार्मासिस्ट की उपस्थिति और नियमित निरीक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि सिर्फ CCTV लगाने पर ज़ोर देना।
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