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करोड़ों का घोटाला, 25,000 नौकरियां रद्द: विधायक जीवन कृष्ण साहा ED की गिरफ्त में

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय ने मुर्शिदाबाद के बुरवान निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीवन कृष्ण साहा को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी पश्चिम बंगाल के स्कूलों में सहायक शिक्षकों (कक्षा IX-XII) की अवैध नियुक्तियों के मामले में की गई है, जो पश्चिम बंगाल सेंट्रल स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) के अधिकारियों के साथ आपराधिक साजिश में की गई थी। जीवन कृष्ण साहा को माननीय विशेष न्यायालय, कोलकाता के समक्ष पेश किया गया, जिसने मामले की आगे की जांच के लिए 6 दिनों के लिए ईडी हिरासत में भेजा है। ईडी ने सीबीआई एसीबी कोलकाता द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की। कलकत्ता के माननीय उच्च न्यायालय ने सीबीआई को पश्चिम बंगाल केंद्रीय एसएससी द्वारा सहायक शिक्षकों की भर्ती में की गई अवैधताओं और अनियमितताओं के मामले में जांच शुरू करने का निर्देश दिया था। ईडी की जांच में सामने आया कि विधायक जीवन कृष्ण साहा ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी के बदले में अयोग्य उम्मीदवारों से भारी रकम वसूलने के लिए एजेंट के रूप में काम किया। अपराध की आय (पीओसी) उनके अपने और उनकी पत्नी के बैंक खातों में जमा की गई। जांच के दौरान विभिन्न उम्मीदवारों ने सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति का वादा करने के लिए जीवन कृष्ण साहा को सीधे नकद भुगतान की पुष्टि की। इसके अलावा, 25 अगस्त, 2025 को जीवन कृष्ण साहा, उनके सहयोगियों और प्रसन्ना कुमार रॉय से जुड़े परिसरों पर तलाशी अभियान भी चलाया गया। तलाशी कार्यवाही के दौरान जीवन कृष्ण साहा ने परिसर से भागने की कोशिश की और अपने मोबाइल फोन को नाले में फेंक कर/छुपा कर सबूत नष्ट करने की कोशिश की, जिसे बाद में तलाशी दल ने बरामद कर लिया। तलाशी के दौरान डिजिटल उपकरण, अपराध-संकेती दस्तावेज और संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए गए हैं। एसएससी (सहायक अध्यापक) भर्ती घोटाले के इस मामले में, सैकड़ों करोड़ रुपयों की पीओसी शामिल है और ईडी ने अब तक पीओसी को लगभग 238 करोड़ रुपये की राशि कुर्क किया है और माननीय विशेष न्यायालय, कोलकाता के समक्ष 18.04.2024 को अभियोजन शिकायत भी दर्ज की है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल राज्य बनाम बैशाखी भट्टाचार्य (चटर्जी) एवं अन्य के मामले में वर्ष 2024 की एसएलपी (सिविल) संख्या 9586 में दिनांक 03.04.2025 के निर्णय के तहत एसएससी द्वारा 25,000 से अधिक उम्मीदवारों की शिक्षकों और कर्मचारियों के रूप में नियुक्तियों की पूरी प्रक्रिया को धोखाधड़ी बताते हुए रद्द कर दिया है।

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