मुंबई :
साइबर अपराधियों से पैसे बचाने में पहली घंटी यानी "गोल्डन आवर" बेहद अहम मानी जाती है। अगर इस दौरान पुलिस या साइबर सेल को सूचना दे दी जाए तो ठगों द्वारा रकम निकालने या कई खातों में घुमाने से रोका जा सकता है। इसी सतर्कता की बदौलत मुंबई साइबर पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े में बुजुर्ग महिला की लगभग पूरी रकम वापस करा ली।
पश्चिमी उपनगर की 72 वर्षीय महिला को 18 से 26 अगस्त के बीच एक व्हाट्सऐप कॉल आया। कॉल करने वाला खुद को 'डीसीपी संजय अरोड़ा' बताकर पेश कर रहा था। इसके साथ ही कुछ अन्य लोग भी वीडियो कॉल पर आए, जो खुद को हाईकोर्ट जज, मुंबई पुलिस अधिकारी और सीबीआई अधिकारी बता रहे थे। इन लोगों ने महिला को डराया कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल अवैध लेनदेन में हुआ है और गिरफ्तारी वारंट भी भेज दिए।
महिला को झांसे में लेकर ठगों ने कहा कि वह अपनी रकम "जांच" के लिए कथित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के खातों में ट्रांसफर करें। घबराई महिला ने एक हफ्ते में करीब ₹1.26 करोड़ विभिन्न खातों में भेज दिए। पैसे भेजने के बाद जब आरोपी अचानक संपर्क से बाहर हो गए, तब महिला को धोखे का एहसास हुआ और उन्होंने साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत मिलते ही वरिष्ठ निरीक्षक (पश्चिम क्षेत्र, साइबर) सुर्वणा शिंदे के नेतृत्व में टीम ने तुरंत जांच शुरू की। उन्होंने बताया, "अक्सर ठग रकम तुरंत निकाल लेते हैं। लेकिन इस मामले में रकम अभी भी जलगांव निवासी के बैंक खाते में पड़ी हुई थी।"
पुलिस टीम ने जलगांव जाकर खाता धारक रोहित सोनार (33) और उसके साथी हितेश पाटिल (31) को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि मुख्य आरोपी, जो जलगांव का रहने वाला है और अब थाईलैंड में है, दोनों से जान-पहचान रखता था। इसी वजह से तुरंत रकम ट्रांसफर करने का दबाव नहीं डाला गया और यही देरी पुलिस के लिए फायदेमंद साबित हुई।
पुलिस ने खातों से ₹1.23 करोड़ बरामद कर लिया है। अधिकारी ने बताया कि किसी भी साइबर ठगी के मामले में तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करना चाहिए। समय पर दी गई सूचना ही पैसे बचाने का सबसे बड़ा हथियार है।
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