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रायगढ़ साइबर पुलिस ने किया पर्दाफाश: अंतरराष्ट्रीय साइबर सिंडिकेट चला रहा था 'डिजिटल अरेस्ट' ठगी, 11 गिरफ्तार"।


नवी मुंबई:
रायगढ़ में दर्ज एक 'डिजिटल अरेस्ट' ठगी की शिकायत की जांच ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध सिंडिकेट का खुलासा किया है, जो भारत, नेपाल, पाकिस्तान, कनाडा, चीन और बांग्लादेश तक फैला हुआ है। मई में दर्ज एक शिकायत के बाद रायगढ़ साइबर पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तकनीकी रूप से दक्ष मास्टरमाइंड, टेलीकॉम कर्मचारी और मार्केटिंग एजेंट शामिल हैं।

मामले की शुरुआत 5 मई को हुई, जब एक नागरिक को खुद को टेलीकॉम अथॉरिटी ऑफ इंडिया का अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने वीडियो कॉल कर डराया कि उसकी पहचान का इस्तेमाल अवैध लेन-देन में हुआ है और उस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया है। पीड़ित से मामले को 'सुलझाने' के नाम पर ₹66 लाख अलग-अलग किश्तों में वसूल लिए गए।

फर्जी कंपनियों, SIP लाइन और फेक कॉल्स के जरिए ठगी का जाल:
जांच में सामने आया कि इस ठगी के पीछे देशभर और सीमा पार फैला टेलीकॉम का दुरुपयोग कर रहा गिरोह काम कर रहा था। मास्टरमाइंड अभय संतप्रकाश मिश्रा (29), उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का रहने वाला और B.Tech (कंप्यूटर साइंस) स्नातक है। उसने 5 हाई-कैपेसिटी टेलीकॉम सर्वर के जरिये 28 दिनों में 62 लाख से अधिक फर्जी कॉल कीं, जिनमें से 86,910 कॉल महाराष्ट्र में की गई थीं।

मिश्रा ‘Alex’ नाम से Microsoft Teams पर एन्क्रिप्टेड चैट के जरिये पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, चीन और कनाडा के विदेशी साथियों से SIP तकनीक, फर्जी दस्तावेज, कॉलिंग सर्वर सेटअप और धनशोधन पर चर्चा करता था। पुलिस ने नेपाल, नोएडा और हरदोई में उसकी संपत्तियां ट्रैक की हैं और ₹85 लाख की बिटकॉइन जब्त की है।

फर्जी कंपनियां और टेलीकॉम अधिकारियों की मिलीभगत:
गिरोह ने Nivi Cloud Pvt Ltd, Credil Info Pvt Ltd, Oxydeal जैसी फर्जी कंपनियां बनाई थीं। जियो के दो सेल्स मैनेजर—बलमोरी विनायक राव और गंगाधर मूटन—ने व्हाट्सऐप पर मिले फर्जी दस्तावेज स्वीकार कर, SIP लाइन अप्रूव कीं। ये लाइनें सीबीआई, ईडी और पुलिस बनकर धमकी देने के लिए इस्तेमाल की गईं।

दिल्ली से गिरफ्तार मोहसिन मियां खान (35) के पास 6,175 सिम कार्ड, 13 विदेशी नंबर और 26 मोबाइल फोन बरामद हुए, जिनका उपयोग पहचान छिपाने और कॉल ट्रेसिंग से बचने के लिए किया गया।

डॉक्युमेंट फॉर्जिंग और बैंक फ्रॉड:
गिरोह में शामिल अब्दुस सलाम बर्भुयान, नदीम अहमद, लैराब खान, शादान खान और मोहम्मद फैसल खान फर्जी दस्तावेज और बैंक खातों के माध्यम से धन शोधन में लिप्त थे। अब तक 112 बैंक खाते चिन्हित किए गए हैं और ₹66 लाख फ्रीज किए जा चुके हैं।

नेपाल बना साइबर अपराधियों का नया गढ़:
राजस्थान से MBA किए शम्स ताहिर खान SIP मार्केटिंग एजेंट की भूमिका में था और मिश्रा के साथ नेपाल की यात्रा करता था। नेपाल को गिरोह सुरक्षित ठिकाना मान रहा था, क्योंकि वहां से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया कमजोर है।

पुलिस की चेतावनी:
एसपी आंचल दलाल ने कहा, “‘डिजिटल अरेस्ट’ एक फर्जी अवधारणा है। न तो सीबीआई, ईडी और न ही कोई पुलिस व्हाट्सऐप कॉल के जरिये लोगों से पैसे मांगती है। ऐसे किसी भी मामले में नागरिक तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930, 1945 या 14407 पर कॉल करें या नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं।”

जांच का नेतृत्व एसपी आंचल दलाल कर रही हैं, जिनके साथ एएसपी अभिजीत शिवथरे, इंस्पेक्टर रिजवाना नदाफ, एपीआई अमोल जाधव, एएसआई मोहिते, पीएन तुषार घराट, पीएन राहुल पाटिल, पीएन राजीव जिंजुर्ते, पीसी गुरव, महिला पुलिसकर्मी सुचिता पाटिल और पूजा तैनात हैं।

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