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महाराष्ट्र में गुटखा-पान मसाला प्रतिबंध बना मज़ाक, विधानसभा आश्वासन समिति ने एफडीए और पुलिस अधिकारियों को तलब किया।


मुंबई।
महाराष्ट्र में गुटखा और पान मसाला के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और वितरण पर 2012 से पूर्ण प्रतिबंध लागू है, लेकिन इसके बावजूद यह ज़हरीला कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है। सड़कों से लेकर गलियों तक गुटखा-पान मसाला खुलेआम बिक रहा है, जबकि सरकार बार-बार कार्रवाई के आश्वासन देती रही है। मगर हकीकत यह है कि अधिकारी केवल खानापूर्ति कर जनता और सदन — दोनों को गुमराह कर रहे हैं।

इसी गंभीर मुद्दे पर अब विधानसभा की आश्वासन समिति ने कड़ा रुख अपनाया है। समिति के अध्यक्ष विधायक रवि राणा ने बताया कि प्रतिबंधित गुटखा और पान मसाला की बिक्री पर कार्रवाई न करने को लेकर खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के सचिव, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, पुलिस कमिश्नर और राज्य पुलिस महानिदेशक (डीजी) को समिति की बैठक में तलब किया गया है। समिति इन अधिकारियों से सीधे सवाल-जवाब करेगी कि आखिर जब सदन में मंत्री बार-बार कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं, तो जमीनी स्तर पर उसका पालन क्यों नहीं हो रहा है।

2012 से लागू है प्रतिबंध, फिर भी जारी अवैध कारोबार

राज्य सरकार ने 19 जुलाई 2012 को गुटखा और पान मसाला पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। यह प्रतिबंध उन सभी उत्पादों पर लागू है जिनमें तंबाकू, निकोटीन या मैग्नीशियम कार्बोनेट शामिल हैं, चाहे उन्हें किसी भी नाम से बेचा जाए।
हाल ही में, 20 जुलाई 2025 से सुगंधित तंबाकू और सुपारी उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण, परिवहन और बिक्री पर एक वर्ष के लिए अतिरिक्त प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार ने गुटखा की बिक्री को गैर-जमानती अपराध घोषित किया है, लेकिन यह कानून केवल कागज़ों तक सीमित दिखाई देता है।

समिति का सवाल — कार्रवाई आखिर क्यों नहीं?

रवि राणा ने कहा कि राज्य के किसी भी जिले, कस्बे या गांव में गुटखा की अवैध बिक्री पर लगाम नहीं लगाई जा सकी है। “जब सदन में मंत्री खुद कार्रवाई का आश्वासन देते हैं, तो अधिकारी उस पर अमल क्यों नहीं करते? यह गंभीर प्रशासनिक लापरवाही है, और अब समिति इस पर जवाब मांगेगी,” उन्होंने कहा।

आश्वासन समिति करेगी सख्त जांच

विधानसभा के नियमों के अनुसार, जब मंत्री सदन में किसी मुद्दे पर आश्वासन देते हैं, तो संबंधित विभाग के अधिकारी उस पर अमल करने के लिए बाध्य होते हैं। यदि अधिकारी आश्वासन पर कार्रवाई नहीं करते, तो आश्वासन समिति उन्हें बुलाकर जवाब-तलब कर सकती है।
अब इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए समिति ने अधिकारियों को विधान भवन में उपस्थित होने का आदेश दिया है। समिति चाहती है कि “मंत्री के दिए हर आश्वासन पर सख्ती से अमल हो और प्रतिबंधित उत्पादों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।”

खुलेआम बिक्री पर उठे सवाल

हर सत्र में विधायक सदन में गुटखा-पान मसाला की अवैध बिक्री का मुद्दा उठाते हैं, और मंत्री आंकड़े देकर जवाब देते हैं। लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि मुंबई से लेकर ग्रामीण इलाकों तक हर जगह प्रतिबंधित उत्पादों की खुलेआम बिक्री जारी है।
अब देखना यह होगा कि विधानसभा की आश्वासन समिति की यह सख्ती वाकई में गुटखा माफिया पर नकेल कस पाएगी या एक बार फिर यह मुद्दा केवल “आश्वासन” बनकर रह जाएगा।


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