मुंबई,
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने केंद्र की मोदी सरकार पर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम को “सुनियोजित तरीके से कमजोर करने” का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा लागू किया गया यह ऐतिहासिक कानून नागरिकों को सशक्त बनाता था और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी हथियार साबित हुआ था, लेकिन भाजपा सरकार ने संशोधनों और प्रशासनिक उपेक्षा के माध्यम से इसे लगभग शक्तिहीन बना दिया है।
आरटीआई अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपकाल ने कहा,
“सूचना आयुक्तों के पद खाली रखकर, गोपनीयता के नाम पर सार्वजनिक डेटा साझा करने से इनकार करना और आरबीआई व चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं को आरटीआई के दायरे से बाहर रखकर मोदी सरकार ने इस कानून की मूल भावना को खत्म कर दिया है।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने नोटबंदी और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों — जैसे मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज — को भी जनता से छिपाया है।
सपकाल ने घोषणा की कि कांग्रेस आरटीआई कानून को फिर से सशक्त बनाने के लिए एक राज्यव्यापी अभियान चलाएगी। इस अभियान में जनजागरूकता कार्यक्रम, कानूनी कार्यशालाएं और नागरिकों से सुझाव एकत्र करने की प्रक्रिया शामिल होगी।
राजनीतिक मोर्चे पर बोलते हुए सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया कि वे “ब्रिटिश काल की फूट डालो और राज करो” नीति पर चल रहे हैं और समाज में जातीय विभाजन को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा,
“फडणवीस की सोच नाथूराम गोडसे की मानसिकता की याद दिलाती है। यह तुलना व्यक्तियों की नहीं, बल्कि राजनीतिक सोच और तरीकों की है।”
राजनीतिक गठबंधन पर पूछे गए एक सवाल पर सपकाल ने कहा कि कांग्रेस को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे की मुलाकातों से कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्षी ‘इंडिया गठबंधन’ से जुड़े फैसले सभी घटक दल मिलकर सामूहिक रूप से लेंगे।
गौरतलब है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच यह मुलाकात एक सप्ताह में दूसरी बार हुई है, जिसके बाद कांग्रेस की यह प्रतिक्रिया सामने आई है।
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