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मुंबई ट्रैफिक पुलिस हेड कांस्टेबल साइबर ठगी का शिकार, पूरी सैलरी और बचत खाते से उड़ाए ₹2 लाख।

 मुंबई पुलिस के जोगेश्वरी ट्रैफिक डिवीजन में तैनात एक हेड कांस्टेबल साइबर ठगी का शिकार हो गए, जब अज्ञात धोखेबाजों ने उनके बैंक खाते से उनकी पूरी सैलरी और बचत राशि निकाल ली। कांस्टेबल को इस धोखाधड़ी का पता तब चला जब वे बैंक पहुंचे और अपने खाते में शून्य बैलेंस देखकर हैरान रह गए।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, 43 वर्षीय शिकायतकर्ता ट्रैफिक विभाग में कार्यरत हैं और अपने परिवार के साथ वर्ली पुलिस कॉलोनी में रहते हैं। 7 अक्टूबर को वे सेंट्री बाजार स्थित बंगाल केमिकल्स के पास एक एटीएम पर नकद निकालने पहुंचे थे। लेकिन बार-बार सही पिन डालने के बावजूद मशीन पर “गलत पिन” का संदेश आने लगा, जिसके चलते उन्होंने इसे तकनीकी खराबी समझकर वहां से लौट गए।

अगले दिन, यानी 8 अक्टूबर को जब वे बैंक की वर्ली शाखा में जानकारी लेने पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि उनके वेतन खाते से पूरी राशि निकाल ली गई है। बैंक रिकॉर्ड के अनुसार, 4 अक्टूबर तक उनके खाते में ₹2,02,000 की राशि थी। मोबाइल संदेश जांचने पर उन्हें पता चला कि 5 अक्टूबर को एक ओटीपी संदेश आया था, फिर 6 अक्टूबर को ₹2 लाख और ₹2,000 की निकासी हुई थी। इसी के बाद उन्हें समझ आया कि उनके खाते से साइबर धोखाधड़ी के जरिए रकम उड़ा ली गई है।

बैंक अधिकारियों की मदद से जांच में पता चला कि यह राशि अब्दुल रज़ाक नामक व्यक्ति के खाते में स्थानांतरित हुई थी। इसके बाद हेड कांस्टेबल ने वर्ली पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4) और 319(2) के तहत, साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66(C) और 66(D) के तहत अज्ञात आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

वर्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने संभवतः नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से पीड़ित का खाता हैक किया है। “हम धन के लेनदेन की ट्रेल और डिजिटल सबूतों का विश्लेषण कर रहे हैं ताकि आरोपियों की पहचान की जा सके,” अधिकारी ने कहा।

अधिकारियों ने यह भी कहा कि यह मामला इस बात का उदाहरण है कि साइबर अपराध से पुलिसकर्मी भी अछूते नहीं हैं। उन्होंने नागरिकों से ऑनलाइन बैंकिंग करते समय या ओटीपी साझा करते समय सतर्क रहने की अपील की है।

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