मुंबई: महाराष्ट्र सरकार की अपील और रोक-टोक के बावजूद माराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने अपने गाँव सराटी से मुंबई तक कूच की शुरुआत कर दी है। यह यात्रा 29 अगस्त को मुंबई पहुँचेगी, जहाँ एक लाख से अधिक समर्थकों के जुटने की संभावना है।
जरांगे पाटिल ने एक बार फिर अपनी पुरानी माँग दोहराई कि माराठा समाज को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में शामिल किया जाए। उनका तर्क है कि माराठा और कुनबी जातियाँ ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से एक ही वंश की हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग युद्ध के लिए गए उन्हें माराठा कहा गया और जो खेती-किसानी में लगे रहे उन्हें कुनबी कहा गया। यदि कुनबी को ओबीसी मान्यता मिल सकती है तो माराठों को क्यों नहीं?”
सरकार ने आगामी गणेशोत्सव को देखते हुए इस यात्रा पर रोक लगाने की कोशिश की थी और मुंबई में प्रदर्शन की अनुमति रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी। लेकिन कोर्ट ने यात्रा को मंजूरी देते हुए केवल एक दिन का प्रदर्शन आज़ाद मैदान में करने की अनुमति दी।
जरांगे पाटिल ने आरोप लगाया कि सभी आवश्यक अनुमति लेने के बावजूद पुलिस प्रशासन आंदोलन को बाधित करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, “अगर सरकार को कानून-व्यवस्था की चिंता है, तो उसे पहले हमारी माँगें पूरी करनी चाहिए। सरकार ने पहले ‘सगे-सोयरे’ और माराठा समुदाय को कुनबी के समान मानने और ओबीसी लाभ देने का वादा किया था। अब वही सरकार पीछे हट रही है।”
उन्होंने भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने का आरोप भी लगाया। पाटिल ने कहा, “ब्रिटिश शासन में भी शांतिपूर्ण आंदोलन की इजाज़त थी। लेकिन आज गणेशोत्सव का बहाना बनाकर हमें रोका जा रहा है। फिर भी हम अपने हक़ के लिए अडिग हैं और मुंबई की ओर कूच कर चुके हैं।”
अब सबकी नज़रें इस विशाल आंदोलन पर टिकी हैं, जो मुंबई पहुँचकर आज़ाद मैदान में राज्य सरकार के सामने माराठा आरक्षण की माँग को और बुलंद करेगा।
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