सुबह से ही बीएमसी मुख्यालय के बाहर मनसे कार्यकर्ता जमा होने लगे थे। हाथों में पार्टी के झंडे और "पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया लागू करो!" जैसे नारे लगाते हुए वे कार्यालय के भीतर घुस गए। उनका सीधा निशाना ठोस कचरा प्रबंधन विभाग के अधिकारी थे। कार्यकर्ताओं का कहना था कि उन्हें विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली की जा रही है और कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
मनसे के एक वरिष्ठ नेता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमें जानकारी मिली है कि बीएमसी अधिकारियों और कुछ ठेकेदारों के बीच मिलीभगत चल रही है। यह टेंडर प्रक्रिया सिर्फ दिखावा है, असल में एक ठेकेदार को पहले ही तय कर लिया गया है। यह मुंबईकरों के साथ अन्याय है।" उन्होंने आगे कहा कि अगर बीएमसी ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई नहीं की और टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से पारदर्शी तरीके से शुरू नहीं किया, तो मनसे अपना आंदोलन और तेज करेगी।
वहीं, बीएमसी अधिकारियों ने मनसे के आरोपों को खारिज कर दिया है। ठोस कचरा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के अनुसार चल रही है और इसमें किसी भी तरह की धांधली नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सभी कंपनियों को समान अवसर दिए जा रहे हैं।
फिलहाल, मनसे के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है। लेकिन इस घटना ने बीएमसी की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। देखना होगा कि बीएमसी इन आरोपों पर क्या कार्रवाई करती है और क्या कचरा संग्रहण की यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया विवादों से मुक्त हो पाती है या नहीं। यह मुद्दा आने वाले दिनों में और गरमा सकता है, खासकर जब मुंबई में आगामी चुनावों की तैयारी चल रही हो।
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