नई दिल्ली – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और हाईटेक हथियारों के इस दौर में युद्ध का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। ड्रोन अब आधुनिक युद्धों का सबसे घातक हथियार बनते जा रहे हैं। हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन के व्यापक उपयोग ने इस बदलाव को और स्पष्ट किया है। इसी पृष्ठभूमि में भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को और अधिक मजबूत करते हुए स्वदेशी 'भार्गवास्त्र' ड्रोन-रोधी प्रणाली की सफल परीक्षण प्रक्रिया पूरी की है।
'भार्गवास्त्र' प्रणाली को सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक साथ 64 गाइडेड माइक्रो-मिसाइल दागने में सक्षम है, जिससे यह ड्रोन के झुंड को भी प्रभावी ढंग से खत्म कर सकती है। इस तकनीक को बेहद कम लागत में विकसित किया गया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत मिशन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
तीन चरणों में हुई सफल टेस्टिंग
13 मई को ओडिशा के गोपालपुर सीवर्ड फायरिंग रेंज में इस प्रणाली का परीक्षण किया गया। भारतीय थल सेना की एयर डिफेंस यूनिट (AAD) की निगरानी में तीन सफल परीक्षण किए गए। पहले दो परीक्षणों में एक-एक माइक्रो रॉकेट दागे गए, जबकि तीसरे परीक्षण में ‘सैल्वो मोड’ के तहत दो रॉकेट्स को महज दो सेकंड के अंतराल पर लॉन्च किया गया। सभी रॉकेट्स ने अपने टारगेट को सफलतापूर्वक निशाना बनाया और सभी लॉन्च पैरामीटर पूरे किए।
भार्गवास्त्र की तीन प्रमुख क्षमताएं
- अनगाइडेड माइक्रो रॉकेट्स: यह ड्रोन के झुंड को खत्म करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
- गाइडेड माइक्रो मिसाइल्स: सटीक लक्ष्य भेदन के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
- सॉफ्ट-किल परत: जैमिंग और स्पूफिंग जैसी तकनीकों की मदद से यह ड्रोन को निष्क्रिय कर सकती है, बिना उसे नष्ट किए।
यह प्रणाली थल सेना, वायुसेना और नौसेना – तीनों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है और भारत की एयर डिफेंस प्रणाली को एक नई मजबूती देती है।
ड्रोन के खिलाफ बना नया कवच
हाल के दिनों में पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ 400 से अधिक ड्रोन भेजे गए थे, जिन्हें भारतीय डिफेंस सिस्टम ने सफलतापूर्वक मार गिराया। ‘भार्गवास्त्र’ जैसी तकनीक से भारत भविष्य में ऐसे खतरों का और भी प्रभावी तरीके से जवाब देने में सक्षम होगा ।
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