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महाराष्ट्र में चुनावी हलचल तेज़, क्या राज और उद्धव आएंगे साथ?


महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है। निकाय चुनावों से पहले ठाकरे बंधुओं—राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे—के एक साथ आने की अटकलों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इन चर्चाओं से बीजेपी की बेचैनी साफ़ देखी जा सकती है। यही वजह है कि प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने बयान दिया है कि वे जल्द ही राज ठाकरे के घर चाय पर मिलने जाएंगे।

2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी का साथ मिला और भगवा दल को बड़ा फायदा हुआ। लेकिन अब जब स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी ज़ोरों पर है, सभी दल मराठी मतों को साधने की कोशिश में जुटे हैं।

हाल ही में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "महाराष्ट्र में पवार और ठाकरे ब्रांड हमेशा रहेगा, इसे खत्म नहीं किया जा सकता।" इस पर संजय राउत की सकारात्मक प्रतिक्रिया आई, जिससे इन दोनों के बीच बढ़ती नज़दीकियों की अटकलों को बल मिला।

क्या गड़बड़ा जाएगा बीजेपी का गणित?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर शिवसेना (यूबीटी) और मनसे एक साथ आते हैं, तो बीजेपी की रणनीति बिगड़ सकती है। लोकसभा चुनावों में 9 सांसद जिताने के बाद भी विधानसभा में यूबीटी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी। वहीं, मनसे प्रमुख राज ठाकरे अपने बेटे अमित ठाकरे को भी नहीं जिता पाए थे। ऐसे में गठबंधन दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

संजय राउत, आदित्य ठाकरे और अनिल परब जैसे नेता गठबंधन की कोशिशों को आगे बढ़ा रहे हैं। माना जा रहा है कि यही वजह है कि बीजेपी ने रवींद्र चव्हाण का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया है।

बीएमसी चुनावों का समीकरण

मुंबई की बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) देश की सबसे अमीर और सबसे बड़ा बजट वाली नगर निकाय है, जिसकी कुल 227 सीटें हैं। बहुमत के लिए 114 सीटें चाहिए। 2017 के चुनावों में बीजेपी को 82, शिवसेना को 77, कांग्रेस को 31, एनसीपी को 9 और मनसे को 7 सीटें मिली थीं। जबकि 2012 में मनसे ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

अगर इस बार मनसे और शिवसेना (यूबीटी) एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं, तो बीएमसी में बीजेपी के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

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