मुंबई, 9 अक्टूबर — मुंबई के चेंबूर स्थित पं. मदन मोहन मालवीय शताब्दी अस्पताल में लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक स्वीपर (सफाईकर्मी) से मरीज का इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) करवाया गया। इस घटना की शिकायत महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग (MSHRC) को मिलने के बाद आयोग ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) पर ₹12 लाख का जुर्माना लगाया है।
यह मामला तब सामने आया जब एक महिला मरीज ने आयोग को शिकायत भेजी और इसके साथ अस्पताल में स्वीपर द्वारा ईसीजी करते हुए तस्वीरें भी साझा कीं। जांच में पाया गया कि अस्पताल में ईसीजी तकनीशियन का पद पिछले एक वर्ष से खाली था, जिसके चलते सफाईकर्मी को यह जिम्मेदारी दी गई थी।
BMC अधिकारियों ने आयोग को बताया कि अस्पताल में प्रशिक्षित ईसीजी तकनीशियन नहीं था, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि जिस कर्मचारी से ईसीजी कराई गई, उसे कोई तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया था या नहीं।
मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.एम. बदर ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए बीएमसी आयुक्त को निर्देश दिया कि तुरंत अस्पताल में एक प्रशिक्षित तकनीशियन की नियुक्ति की जाए और ₹12 लाख का मुआवजा महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (Maharashtra State Legal Services Authority) को अदा किया जाए।
आयोग ने कहा कि बीएमसी अस्पतालों में सफाईकर्मियों द्वारा मरीजों का ईसीजी किया जाना गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है और यह हजारों मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ के समान है।
वहीं, बीएमसी की ओर से बताया गया कि ईसीजी मशीन चलाने वाले तकनीशियन को विज्ञान शाखा में योग्य होना चाहिए, परंतु अस्पताल प्रबंधन यह साबित नहीं कर पाया कि जिस कर्मचारी से ईसीजी कराई गई, उसे कोई वैज्ञानिक या तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया था।
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