मामले की सुनवाई मुंबई की सत्र न्यायालय संख्या 66 में हुई। अदालत में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक श्री राजेश कदम के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक कोर्ट टाकरकर ने सरकार की ओर से पैरवी की। अभियोजन पक्ष ने रासायनिक विशेषज्ञ की रिपोर्ट, चिकित्सीय परीक्षण अहवाल और गवाहों की जिरह के आधार पर मज़बूत सबूत पेश किए। सुनवाई के दौरान कुल 9 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
अंतिम सुनवाई में माननीय सत्र न्यायालय के न्यायाधीश श्री एम.एम. देसपांडे ने आरोपी शुभम अशोक तायडे को दोषी करार दिया। अदालत ने आरोपी को पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषसिद्ध मानते हुए 10 वर्ष का कठोर कारावास, ₹5000 का अर्थदंड और 3 महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास की सज़ा सुनाई।
इस प्रकरण की जांच तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी सुभाष ललित डबके, मपोश्वी शीलक कदम तथा पुलिस निरीक्षक (गुन्हे) के मार्गदर्शन में की गई थी। अदालत में पैरवी का काम विशेष लोक अभियोजक श्री राजेश कदम तथा पुलिस अधिकारी पोजन संतोष कुमार, /विनोद म्हात्रे, /बाबु पडकुर, मपोश्वी /दीपाली माळी ने संभाला।
मानवता को झकझोर देने वाले इस मामले में अदालत का यह फैसला समाज के लिए एक कड़ा संदेश है।
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