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खारघर के वकील पर नाबालिग प्रमाणपत्र फर्जीवाड़े का आरोप।


पनवेल – पनवेल सिटी पुलिस ने खारघर के एक वकील के खिलाफ नाबालिग प्रमाणपत्र को फर्जी तरीके से तैयार करने और उस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की नकली मुहर व हस्ताक्षर लगाने का मामला दर्ज किया है। यह मामला एक ज़मीन सौदे के दौरान सामने आया और हाल ही में उजागर हुए पनवेल कोर्ट के वारिस प्रमाणपत्र घोटाले की ताज़ा कड़ी माना जा रहा है।

ज़मीन सौदे में उठा संदेह

वाशी निवासी बिल्डर लाधवजी पटेल (57) उलवे सेक्टर 17 में एक भूखंड खरीदने की प्रक्रिया में थे। इस प्लॉट के सहमालिक गिरीधर रमाकांत घराट के निधन के बाद उनकी पत्नी और दो नाबालिग बच्चों का नाम सामने आया। सौदे को पूरा करने के लिए पटेल को कोर्ट से नाबालिग प्रमाणपत्र की आवश्यकता थी।

रिश्तेदार ने दिया शॉर्टकट का लालच

कोर्ट की प्रक्रिया लंबी खिंच रही थी, तभी मृतक के चचेरे भाई सागर घराट ने पटेल को भरोसा दिलाया कि वह अपने वकील के जरिए मात्र 1 लाख रुपये में प्रमाणपत्र दिलवा देगा। 10 सितंबर को उसने पटेल को एक कथित कोर्ट आदेश सौंपा, जिस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.ई. कोठलिकर की मुहर और हस्ताक्षर दिखाई दे रहे थे।

कोर्ट में हुआ खुलासा

पटेल ने जब दस्तावेज़ को पनवेल कोर्ट में सत्यापित करवाया, तो पूरा खेल सामने आ गया। जांच में पता चला कि आदेश पूरी तरह से नकली है। कोर्ट में पूछताछ के दौरान सागर घराट ने स्वीकार किया कि यह दस्तावेज़ खारघर के अधिवक्ता वी.के. शर्मा ने उपलब्ध कराया था।

पुलिस ने दर्ज किया मामला

पनवेल सिटी पुलिस ने अधिवक्ता शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है।

वारिस प्रमाणपत्र घोटाले की याद

गौरतलब है कि नवंबर 2024 में पनवेल कोर्ट में वारिस प्रमाणपत्र घोटाले का भंडाफोड़ हुआ था, जिसमें जजों और कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षरों वाले दस्तावेज़ धड़ल्ले से चल रहे थे। उस मामले में चार अपराध दर्ज हुए थे, जिनमें तीन वकीलों, एक कोर्ट कर्मचारी और एक एजेंट की गिरफ्तारी हुई थी। पुलिस ने एक प्रकरण में चार्जशीट भी दायर की थी, जबकि अन्य मामलों की जांच अब भी जारी है।


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