मुंबई | गिरगांव
गिरगांव के एक कानून के छात्र ने अपने वकील प्रतीमेश गायकवाड़ के जरिए मुंबई पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र सरकार समेत कई अधिकारियों को कानूनी नोटिस भेजा है। आरोप है कि गणेश विसर्जन के दिन, 6 सितंबर 2025 को, एक वर्दीधारी पुलिसकर्मी ने सड़कों पर खड़ी गाड़ियों को जानबूझकर नुकसान पहुँचाया।
राज्य सरकार पर ‘विकारियस लायबिलिटी’ का दावा
नोटिस में कहा गया है कि पुलिसकर्मी ड्यूटी पर था और उसकी हरकतों के लिए महाराष्ट्र सरकार जिम्मेदार है। इसमें प्रत्येक पीड़ित पक्ष को 2 लाख रुपये मुआवज़ा देने की मांग की गई है।
“गंभीर चेतावनी” : विलंब या अनदेखी पर कार्रवाई
कानूनी नोटिस में साफ लिखा गया है—
"यह नोटिस अंतिम अवसर है सुधारात्मक कदम उठाने का। यदि सरकार या पुलिस विभाग ने देरी, टालमटोल या अनदेखी की तो दोषी अधिकारियों पर सिविल, क्रिमिनल, संवैधानिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
वीडियो बना सबूत
वकील गायकवाड़ के अनुसार, गिरगांव के विल्सन कॉलेज सिग्नल पर एक पुलिसकर्मी को जानबूझकर बाइक और मोटरसाइकिल सड़क पर फेंकते हुए वीडियो में रिकॉर्ड किया गया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ।
नोटिस में कहा गया है कि यह कार्रवाई किसी भीड़ प्रबंधन की जरूरत नहीं थी बल्कि “सोची-समझी तोड़फोड़” थी।
“कानून से बाहर की कार्रवाई, जान को खतरा”
नोटिस में यह भी आरोप है कि पुलिसकर्मी का यह कृत्य न केवल गैरकानूनी था बल्कि लोगों की जिंदगी को खतरे में डालने वाला भी था।
नोटिस में यह भी कहा गया कि केवल आरटीओ को ही वाहन ज़ब्त करने का अधिकार है, इसलिए पुलिसकर्मी की हरकत कानूनी अधिकार क्षेत्र से बाहर (अल्ट्रा वायर्स) थी।
सांप्रदायिक भेदभाव का भी आरोप
नोटिस में यह घटना “साम्प्रदायिक भेदभाव और चुनिंदा आक्रामकता” बताई गई है, जिससे धार्मिक पर्व के दौरान असमानता का माहौल पैदा हुआ।
मांगे : मुआवज़ा, निलंबन और सुधार
कानूनी नोटिस में निम्नलिखित मांगें रखी गई हैं:
- दोषी पुलिसकर्मी का तत्काल निलंबन
- विभागीय जांच और बर्खास्तगी की कार्यवाही
- मुंबई पुलिस आयुक्त की तरफ से सार्वजनिक माफ़ी
- धर्म-निरपेक्ष भीड़ प्रबंधन प्रोटोकॉल और सभी पुलिसकर्मियों के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण
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