मिल मज़दूरों से 4.44 करोड़ की ठगी
विशेष एमपीआईडी कोर्ट ने आरोपी का डिस्चार्ज अर्जी खारिज किया
मुंबई (चेम्बूर) – विशेष एमपीआईडी (महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ़ इंटरेस्ट ऑफ़ डिपॉज़िटर्स) कोर्ट ने सोमवार को 57 वर्षीय चेम्बूर निवासी भरत नाईक की डिस्चार्ज अर्जी को खारिज कर दिया। नाईक पर 2017 में मिल मज़दूरों से करोड़ों की ठगी करने का आरोप है।
सस्ते घर का लालच देकर 29 लोगों से वसूले करोड़
अभियोजन पक्ष के अनुसार, निलेश बलकृष्ण ठाकुर और उसकी पत्नी श्रद्धा ठाकुर ने स्वदेशी मिल कॉम्प्लेक्स में सस्ते मकान दिलाने का झांसा देकर करीब 29 लोगों से 4.44 करोड़ रुपये ऐंठे। निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए आरोपियों ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया।
भरत नाईक पर भी साज़िश में शामिल होने का आरोप
मामले में शामिल भरत नाईक ने चेम्बूर की मंगला विरकर से एक कमरा किराए पर लिया और कथित तौर पर निलेश के साथ मिलकर इसे एक निवेशक को फर्जी ‘लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट’ के ज़रिए बेच दिया। इस सौदे से श्रद्धा ठाकुर ने 3.5 लाख रुपये नाईक के खाते में ट्रांसफर किए।
बचाव पक्ष की दलील
नाईक के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल ने न तो निवेशकों को झांसा दिया और न ही उनसे पैसा लिया। उन्हें केवल निलेश के दोस्त होने के कारण फंसाया गया है। वहीं 3.5 लाख रुपये को लेकर उनका कहना था कि यह एक व्यक्तिगत लेन-देन की वापसी थी।
कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को खारिज करते हुए कहा, “एफआईआर में आवेदक की भूमिका स्पष्ट रूप से दर्ज है। वह निलेश के साथ गहरे जुड़े हुए थे। दोनों ने मिलकर निवेशकों से पैसे लिए और टिटवाला की ज़मीन बेची।”
इस तरह अदालत ने साफ कर दिया कि भरत नाईक पर लगे आरोप गंभीर हैं और उन्हें मुकदमे का सामना करना ही होगा।
0 टिप्पणियाँ