मुंबई, टाइम्स ऑफ इंडिया – महाराष्ट्र के ठाणे जिले की अदालत ने शिवसेना नेता मोहन राउत की हत्या के 11 साल पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने यह फैसला 18 जून को सुनाया, जिसकी कॉपी शनिवार को सार्वजनिक की गई।
विशेष न्यायाधीश ए.एन. सिरसीकर ने चंद्रकांत उर्फ पिंट्या बलराम म्हस्कर (39), गंगाराम उर्फ गंग्या आत्माराम लिंगे (44), योगेश नारायण राउत (45) और अजय उर्फ अजय गजानन गुरव (37) को भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी करार दिया है। साथ ही, चारों पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना न भरने की स्थिति में तीन महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
हालांकि, अदालत ने इन आरोपियों को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और शस्त्र अधिनियम के आरोपों से बरी कर दिया। न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अपराध नृशंस जरूर था, लेकिन इसे "दुर्लभतम से दुर्लभ" श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
क्या था मामला?
23 मई 2014 की रात बदलापुर शहर में शिवसेना के उपप्रमुख मोहन राउत की उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
तीन आरोपी सबूतों के अभाव में बरी
अदालत ने तीन अन्य आरोपियों – नीलेश उर्फ नित्या बापू जाधव (38), प्रवीण परशुराम मोर्गे (44) और रमेश बबन मस्ने (43) – को सबूतों की कमी के चलते सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत का कहना है कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले।
11 साल बाद मिला इंसाफ
करीब 11 साल बाद इस हाई-प्रोफाइल मामले में अदालत का फैसला सामने आया है। मोहन राउत के परिवार के लिए यह फैसला न्याय की एक किरण लेकर आया है।
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