मुंबई, 21 अगस्त (पीटीआई):
मुंबई की एक अदालत ने मिटी नदी डीसिल्टिंग घोटाले में गिरफ्तार किए गए ठेकेदार शेरसिंह राठौड़ (50) को गुरुवार को 26 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी ने फर्जी एमओयू (MoUs) बनाकर और जाली बिलों के जरिए करीब 29.62 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
फर्जी दस्तावेज़ और मृतक के नाम से भी एमओयू
आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने अदालत में दावा किया कि आरोपी ने फर्जी एमओयू तैयार किए, जिनमें से एक मृतक व्यक्ति के नाम से भी बनाया गया था। पुलिस का कहना है कि ठेकेदार ने डीसिल्टिंग का काम पूरा नहीं किया और अन्य जगहों से मलबा उठाकर उसे मिटी नदी की गाद बताकर निगम को बिल जमा किए।
पुलिस की दलील
सरकारी वकील प्रवीणा पाटिल ने कहा कि आरोपी की हिरासत जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि फर्जी बिल और एमओयू बनाने में और कौन-कौन शामिल था। पुलिस ने 10 दिन की कस्टडी की मांग की थी।
बचाव पक्ष का पक्ष
आरोपी के वकील संदीप मौर्य ने दलील दी कि राठौड़ को राजनीति से प्रेरित होकर फंसाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी और एक खास राजनीतिक दल का समर्थन किया था। वकील ने यह भी कहा कि इसी मामले में 2024 में उन्हें अग्रिम जमानत (anticipatory bail) मिल चुकी है, इसलिए यह कार्रवाई दोहराव है।
अदालत का फैसला
मुख्य महानगरीय दंडाधिकारी अभिजीत सोलापुरे ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि हालांकि यह मामला पहले दर्ज प्रकरण से मिलता-जुलता है, लेकिन इसमें अलग और व्यापक पहलू भी हैं। अदालत ने माना कि एफआईआर में राठौड़ का नाम नहीं था, लेकिन चार्जशीट में उनका नाम संदिग्ध के रूप में दर्ज है।
अदालत ने कहा कि जांच के लिए पुलिस हिरासत आवश्यक है और इसलिए आरोपी को 26 सितंबर तक पुलिस कस्टडी में भेजा जाता है।
पृष्ठभूमि : 65 करोड़ का घोटाला
गौरतलब है कि मई 2025 में मुंबई पुलिस ने 13 लोगों – ठेकेदारों और बीएमसी अधिकारियों – के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि 2017 से 2023 के बीच मिटी नदी की सफाई और डीसिल्टिंग के टेंडरों में 65.54 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।
इस मामले में पहले अभिनेता डिनो मोरिया और उनके भाई से भी पूछताछ की जा चुकी है।
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