पर्वतीय आड़ू की दिल्ली-मुंबई तक धूम, किसानों की आर्थिकी को मिल रहा संबल।



हल्द्वानी, उत्तराखंड – प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में उगने वाला मौसमी फल आड़ू इस समय दिल्ली, मुंबई, गुजरात जैसे बड़े राज्यों की मंडियों में जबरदस्त मांग में है। हल्द्वानी की नवीन मंडी से रोजाना 50 से 70 टन तक आड़ू पहुंच रहा है, लेकिन यहां के स्थानीय व्यापारी मात्र 30 प्रतिशत ही खरीद रहे हैं। शेष 70–75 प्रतिशत आड़ू बाहरी राज्यों में भेजा जा रहा है।

मुख्य उद्यान अधिकारी रजनीश सिंह के अनुसार, जिले में लगभग 1,915 हेक्टेयर क्षेत्र में 2,42,457 क्विंटल आड़ू का उत्पादन हो रहा है। आड़ू की गुणवत्ता और स्वाद के चलते इसकी लोकप्रियता देश-विदेश तक फैल रही है।

रामगढ़, धारी, भीमताल और ओखलकांडा जैसे क्षेत्रों में किसानों द्वारा उत्पादित आड़ू सीधे हल्द्वानी की नवीन मंडी में भेजा जा रहा है। हालांकि, अब कई किसान खुद ही दूसरे राज्यों के व्यापारियों से संपर्क कर सीधे सप्लाई करने लगे हैं। इससे उन्हें बेहतर कीमत मिल रही है और आर्थिकी भी मजबूत हो रही है।

हल्द्वानी की मंडी में आड़ू की कीमत 30 से 50 रुपये प्रति किलो है, जबकि दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र जैसी जगहों पर 80 से 100 रुपये किलो तक बिक रहा है।

कैलाश जोशी, अध्यक्ष, आलू फल आढ़ती एसोसिएशन ने बताया, "इस बार मौसम अनुकूल रहा, जिससे आड़ू की गुणवत्ता बेहतरीन हुई है। यही कारण है कि अन्य राज्यों से भारी डिमांड आ रही है।"

मंडी व्यापारी सज्जाद अली ने बताया कि, "रोजाना 50 से 60 ट्रक आड़ू, खुमानी और पोलम जैसे फलों की सप्लाई बाहरी राज्यों में की जा रही है।"

रामगढ़ के किसान जगदीश पांडे ने कहा, "हम अब खुद ही पैकिंग करके आड़ू अन्य राज्यों में बेच रहे हैं। इससे आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है।"

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से निकलकर आड़ू ने देशभर के बाजारों में अपनी पहचान बना ली है। आने वाले समय में इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मांग बढ़ने की पूरी संभावना है।



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