मुंबई में बीजेपी को तीन मजबूत फैक्टर का भरोसा, लेकिन ठाकरे बंधुओं की नजदीकी बढ़ा सकती है चुनावी चुनौती।





मुंबई | रिपोर्ट: टाइम्स नेटवर्क
मुंबई में आगामी बीएमसी चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी के अंदरूनी सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है कि संभावित मनसे-शिवसेना (यूबीटी) गठबंधन से पार्टी की चुनावी स्थिति को नुकसान नहीं होगा। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि तीन प्रमुख कारणों—पारंपरिक वोट बेस, केंद्र की लोकप्रियता और हालिया विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन—की वजह से मुंबई में बीजेपी की स्थिति अब भी मजबूत बनी हुई है।

बीजेपी नेताओं के मुताबिक, मुंबई की पारंपरिक मराठी बहुल सीटों पर भी बीजेपी का समर्थन स्थिर है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे का प्रभाव खासकर मुंबई में कमजोर हुआ है, और एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना का बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ है। वहीं, राज ठाकरे का राजनीतिक प्रभाव भी सीमित बताया जा रहा है।

लेकिन राजनीतिक गलियारों में अब यह सवाल चर्चा में है कि अगर ठाकरे बंधु—उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे—आगामी चुनावों में साथ आते हैं, तो क्या बीजेपी और महायुति को बड़ा झटका लग सकता है?

हाल ही में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि "जनता के मन में जो है वही होगा," जिससे यह संकेत मिलते हैं कि मनसे और शिवसेना (यूबीटी) के बीच चुनावी तालमेल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यह 'ठाकरे ब्रांड' की संभावित घर वापसी के रूप में देखा जा रहा है। मराठी अस्मिता और हिंदुत्व की राजनीति को फिर से संगठित करने के प्रयास के तौर पर भी यह गठबंधन सामने आ सकता है।

राज ठाकरे भी लगातार मराठी मुद्दों को लेकर मुखर हैं। हाल ही में उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर स्कूलों में हिंदी के बजाय मराठी और अंग्रेज़ी को प्राथमिकता देने की मांग की। इससे उनकी मराठी समर्थक छवि और मजबूत हुई है।

बीजेपी हालांकि सार्वजनिक रूप से इस गठबंधन को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है, लेकिन अंदरखाने सर्वे और आकलन के जरिए स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, आगामी बीएमसी चुनावों में बीजेपी का लक्ष्य है—सीधे मेयर पद पर काबिज होना।

सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने अब मुंबई, पुणे और ठाणे समेत प्रमुख नगर निकायों के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी ने हाल ही में अपने जिला और शहर अध्यक्षों की नियुक्ति पूरी की है और हर स्तर पर बूथ मजबूती का खाका तैयार किया जा रहा है।

अब देखना यह होगा कि क्या ठाकरे बंधुओं का संभावित गठबंधन वाकई मुंबई की राजनीति में नया समीकरण गढ़ पाएगा या फिर बीजेपी अपनी रणनीति से फिर एक बार बृहन्मुंबई में सत्ता का पताका फहराने में सफल होगी।




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