बिहार की बेटियों ने बदल दी सोच: छपरा के कमल सिंह की 7 बेटियां देश की सेवा में समर्पित।


छपरा (बिहार), 
बिहार के छपरा जिले के एक छोटे से गांव से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जिसने न सिर्फ सामाजिक धारणाओं को चुनौती दी है, बल्कि साबित किया है कि बेटियां किसी से कम नहीं होतीं। गांव में आटा चक्की चलाने वाले कमल सिंह की सातों बेटियां आज देश की विभिन्न सुरक्षा सेवाओं में कार्यरत हैं और पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बन गई हैं।बिहार की बेटियों ने बदल दी सोच: छपरा के कमल सिंह की 7 बेटियां देश की सेवा में समर्पित।

एक समय

था जब बेटियों के जन्म पर कमल सिंह और उनकी पत्नी श्रद्धा देवी को ताने सुनने पड़ते थे। लगातार सात बेटियों के जन्म पर गांव वालों ने उनका मजाक उड़ाया, लेकिन कठिन हालात के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आर्थिक तंगी के बीच उन्होंने अपने सभी बच्चों को पढ़ाया और मेहनत से उन्हें मंजिल तक पहुंचाया।

हर बेटी बनी मिसाल

कमल सिंह की बेटियां — रानी, रेणु, सोनी, प्रीति, पिंकी, रिंकी और नन्ही — आज बिहार पुलिस, सशस्त्र सीमा बल (SSB), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), क्राइम ब्रांच, आबकारी पुलिस विभाग और रेलवे पुलिस (GRP) जैसी प्रतिष्ठित सेवाओं में कार्यरत हैं। इनकी सफलता न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव और समाज के लिए गर्व का विषय है।

तानों से तारीफ तक का सफर

कमल सिंह बताते हैं कि पहले लोग कहते थे कि बेटियों की शादी में सारी संपत्ति बिक जाएगी, लेकिन आज वही लोग उनकी मेहनत और बेटियों की उपलब्धियों की सराहना करते हैं। बेटियों ने न केवल सरकारी नौकरी हासिल की, बल्कि गांव में चार मंजिला मकान बनवाकर अपनी सफलता का प्रतीक भी स्थापित किया है।

पिता की सख्ती बनी प्रेरणा

कमल सिंह रोज सुबह 4 बजे बेटियों को उठाकर उन्हें दौड़, अभ्यास और पढ़ाई के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने बेटियों के साथ ही दिन की शुरुआत की और उनके साथ ही दिन खत्म किया। उनका विश्वास था कि बेटियां अगर सही दिशा में मेहनत करें तो हर लक्ष्य हासिल कर सकती हैं।

पारिवारिक एकता और जज्बा

कमल सिंह का बेटा राजीव भी दिल्ली में कार्यरत है। त्योहारों पर पूरा परिवार गांव में एकत्र होता है और हर सफलता को एक साथ सेलिब्रेट करता है। यह परिवार आज न सिर्फ एक उदाहरण है, बल्कि यह कहानी बेटियों के महत्व और परिवार की एकता की सशक्त तस्वीर भी पेश करती है।

निष्कर्ष:
कमल सिंह और उनकी बेटियों की यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्पद है। यह उदाहरण बताता है कि संसाधनों की कमी भी रास्ता नहीं रोक सकती, अगर इरादे मजबूत हों और परिवार साथ खड़ा हो।

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