: स्कूल बना खून का मैदान, 13 वर्षीय छात्र ने साथी की ली जान।


जहां एक ओर स्कूल को बच्चों के चरित्र निर्माण और भविष्य गढ़ने का स्थान माना जाता है, वहीं महाराष्ट्र के अहिल्यानगर (पूर्व में अहमदनगर) से आई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है।

सीताराम सारदा स्कूल में बुधवार दोपहर एक 13 वर्षीय आठवीं कक्षा के छात्र ने अपने ही स्कूल के 15 वर्षीय दसवीं के छात्र मोहम्मद मुस्तकीन शेख की चाकू मारकर हत्या कर दी। दोनों के बीच क्रिकेट खेलने को लेकर विवाद हुआ था, जो कुछ ही पलों में खून-खराबे में बदल गया।


स्कूल कैंपस में खून से सना मैदान

घटना लंच ब्रेक के दौरान हुई जब छात्र मैदान में क्रिकेट खेल रहे थे। खेल के दौरान कहासुनी बढ़ी, हाथापाई शुरू हुई और तभी आरोपी छात्र ने अचानक चाकू निकालकर मोहम्मद मुस्तकीन पर पेट और सिर पर ताबड़तोड़ वार कर दिए। हमले के बाद मुस्तकीन जमीन पर गिर पड़ा, और चारों ओर अफरा-तफरी मच गई।


अस्पताल पहुंचने से पहले मौत

गंभीर रूप से घायल मुस्तकीन को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इतनी कम उम्र में इतनी भयावह मौत ने पूरे इलाके को शोक और आक्रोश में डाल दिया है।


पुरानी रंजिश बना वजह? परिजनों का आरोप

मृतक छात्र के परिजनों का कहना है कि आरोपी लड़का उसी मोहल्ले का रहने वाला है और पहले से ही उनके बेटे को लेकर जलन और नाराजगी रखता था। उन्होंने यह भी दावा किया कि आरोपी का परिवार अक्सर मुस्तकीन को गली में क्रिकेट खेलने से रोकता था और उसे धमकाता था। परिजनों ने इस हत्या को पूरी तरह से सुनियोजित साजिश बताया है।


CCTV फुटेज में कैद हुआ हमला

घटना के तुरंत बाद पुलिस ने स्कूल में लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली। इसमें दोनों छात्रों के बीच का झगड़ा और हमला साफ-साफ रिकॉर्ड हुआ है। पुलिस ने फुटेज को सबूत के तौर पर जब्त कर लिया है और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।


13 वर्षीय आरोपी हिरासत में, किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई

पुलिस ने आरोपी छात्र को हिरासत में ले लिया है। उसकी नाबालिग उम्र को देखते हुए उस पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस स्कूल स्टाफ और चश्मदीद छात्रों से पूछताछ कर रही है।


स्कूल प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

घटना के बाद से स्कूल प्रशासन ने न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया है और न ही इस भयावह घटना की जिम्मेदारी ली है। बड़ा सवाल यह है कि एक छात्र स्कूल में चाकू लेकर कैसे दाखिल हो गया? क्या सुरक्षा व्यवस्था में इतनी बड़ी चूक हुई?


सवालों के घेरे में समाज और स्कूल प्रणाली

यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि समाज, परिवार और शिक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

  • क्या हम बच्चों में बढ़ते गुस्से और हिंसक प्रवृत्ति को समय रहते पहचान रहे हैं?
  • क्या स्कूलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है?
  • क्या माता-पिता और शिक्षक बच्चों के व्यवहार में आए बदलावों को गंभीरता से ले रहे हैं?

इस घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर स्कूल जैसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थानों में भी ऐसी वारदातें होने लगें, तो बच्चों का भविष्य और समाज की मानसिक स्थिति किस दिशा में जा रही है?

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