नोएडा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने वाली एजी एनवायरो इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हुई है।
जानकारी के अनुसार, कंपनी ने उन बल्क वेस्ट जेनरेटरों — जैसे कि ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, होटल, रेस्त्रां और आईटी संस्थानों — से भी कूड़ा उठाया, जिनसे उसे कचरा एकत्रित करने की अनुमति ही नहीं थी। इसके बदले कंपनी ने प्राधिकरण से प्रति मीट्रिक टन 1400 रुपये वसूले, जबकि साथ ही प्रति फ्लैट 25 से 70 रुपये तक अतिरिक्त निस्तारण शुल्क भी लिया।
बताया जा रहा है कि इस गोरखधंधे से हर महीने करीब दो करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई, जो प्राधिकरण के खाते में जमा नहीं हुई। ये गड़बड़ी वर्ष 2019 से लगातार चल रही थी।
कंपनी को 600 मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण का ठेका मिला था, लेकिन वह 900 मीट्रिक टन कचरा उठाकर उसका भुगतान भी करवा रही थी।
बढ़ती गंदगी और अनदेखी
छह वर्षों में पांच हजार वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों पर, जो बल्क वेस्ट जेनरेटर की श्रेणी में आते हैं, एक भी कचरा निस्तारण संयंत्र नहीं लगाया गया। कचरा प्रबंधन नीति की साफ अवहेलना की गई। जब भी उच्च अधिकारियों ने सवाल उठाया, तो स्वास्थ्य विभाग सिर्फ नोटिस जारी कर इतिश्री कर लेता रहा।
प्राधिकरण ने दिए जांच के आदेश
मामले के सामने आने के बाद नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डा. लोकेश एम ने तत्काल बैठक कर इस घोटाले की जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एओए की प्रतिक्रिया
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अभिनव सैनी, अध्यक्ष, ग्रैंड अजनारा हेरिटेज: "एजेंसी को हर महीने 1800 फ्लैट्स से 45 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। नौ साल से एक ही एजेंसी को ठेका दिया जा रहा है।"
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सुरोजीत दासगुप्ता, महासचिव, एक्सोटिका फ्रेस्को: "800 फ्लैट्स से हर माह 25 हजार रुपये वसूले जा रहे हैं।"
विवाद बढ़ने पर अब एजेंसी ने छह साल के भीतर ही 10 वर्षीय अनुबंध छोड़ने की चेतावनी दे दी है।
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