रूबी हॉल क्लिनिक में किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़फर्जी पत्नी बनाकर किया गया था 15 लाख में सौदा, आरोपी डॉक्टर पहले से जेल में ।


पुणे के प्रतिष्ठित निजी अस्पताल रूबी हॉल क्लिनिक में किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पुलिस के अनुसार, साल 2022 में एक महिला को 15 लाख रुपये का लालच देकर मरीज की फर्ज़ी पत्नी बनाकर पेश किया गया, और गैरकानूनी तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट कराया गया

कैसे हुआ खुलासा?

29 मार्च 2022 को ट्रांसप्लांट के चार दिन बाद जब महिला को भुगतान नहीं मिला, तो उसने खुद सामने आकर सारा राज़ खोल दिया। महिला ने बताया कि वह मरीज की पत्नी नहीं है, जिससे पूरे रैकेट का पर्दाफाश हो गया

जांच में सामने आई खौफनाक सच्चाई

पुलिस जांच में पता चला कि इस ट्रांसप्लांट के तहत दो सर्जरी की गई थीं, और ये पूरी प्रक्रिया धोखाधड़ी और पैसों के लेन-देन पर आधारित थी।

डॉ. अजय टावरे की भूमिका संदिग्ध

रैकेट में बड़ा नाम डॉ. अजय टावरे का सामने आया है, जो उस वक्त किडनी ट्रांसप्लांट अथॉरिटी की चेयरमैन कमेटी में थे। ट्रांसप्लांट को उन्हीं के हस्ताक्षर से मंज़ूरी मिली थी। अब पुलिस उनकी भूमिका को लेकर फिर से पूछताछ कर रही है

पहले से जेल में हैं डॉ. टावरे

गौरतलब है कि डॉ. टावरे पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस में पहले से ही आरोपी हैं। उन पर 17 वर्षीय किशोर के ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ का आरोप है और वे यरवदा जेल में बंद हैं।

अब तक 15 लोगों पर मामला दर्ज

इस मामले में रूबी हॉल क्लिनिक के ट्रस्टी, डॉक्टर, दलाल, फर्जी रिश्तेदार और अस्पताल स्टाफ समेत 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है

क्या था पूरा खेल?

पुलिस के अनुसार, कोल्हापुर की एक महिला को 15 लाख रुपये का लालच देकर पेश किया गया। एक युवती को उसने किडनी दी और बदले में युवती की मां ने उस महिला को किडनी दी। यह कानून और नैतिकता दोनों का घोर उल्लंघन था।

पुलिस की कार्रवाई जारी

डीसीपी निखिल पिंगले ने जानकारी दी कि "डॉ. अजय टावरे को हिरासत में लिया गया है और उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। मामले की गहन जांच चल रही है।"

स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल

इस घटना ने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की पारदर्शिता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब मेडिकल कमेटी के सदस्य ही रैकेट में शामिल हों, तो आम जनता किस पर भरोसा करे।

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