एक गर्म और अस्त-व्यस्त दोपहर थी। अहमदाबाद के स्मित पंचाल एक निर्माणाधीन इमारत की ऊँचाई पर खड़े थे, हाथ में रस्सी कसकर पकड़े हुए, भारी लोहे की बीम को ऊपर खींचते हुए। इस मेहनत भरे काम तक स्मित को पहुँचाने वाली वजह थी—उनके पिता की बिगड़ती तबीयत।
स्मित के पिता, हसमुख पंचाल, एक लोहार हैं। 2011 में सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने उन्हें भारी सामान उठाने से सख्त मना किया था। लेकिन परिवार पालने की मजबूरी ने उन्हें मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया। यह दृश्य स्मित के लिए किसी भी अकादमिक असफलता से ज्यादा दर्दनाक था।
"पप्पा को छोटे-छोटे कामों के लिए भी जूझते देखना बहुत मुश्किल था। उन्हें जलन होती थी, नींद की गोलियों के बिना सो नहीं पाते थे, लेकिन कभी शिकायत नहीं की। हर दर्द को मुस्कान के साथ सहन किया," स्मित ने 'द बेटर इंडिया' से बातचीत में कहा।
पिता का बोझ हल्का करने के लिए स्मित भी उनके साथ साइट पर जाते और भारी कामों में मदद करते। "पप्पा, अब मैं कर लूंगा," वे कहते हुए 100-500 किलोग्राम तक की लोहे की बीम फिट करते।
इसी संघर्ष भरे माहौल में, स्मित के मन में UPSC की तैयारी का विचार आया—उनके कज़िन की सलाह पर। उन्होंने तय किया कि अगर IAS नहीं बन पाए, तो मजदूरी का काम खुद करेंगे ताकि उनके पिताजी को अब आराम मिल सके।
स्मित ने 12वीं के बाद आर्ट्स लिया, ताकि UPSC की तैयारी के लिए ज्यादा समय मिल सके। 2022 में ग्रेजुएशन के बाद वे दिल्ली आए और कोचिंग शुरू की। हालांकि, मन में शंका थी—"कभी लगता था, इंजीनियरिंग की होती तो कम से कम आर्थिक रूप से परिवार को संभाल पाता," वे कहते हैं।
2023 में पहले प्रयास में CSAT में मात्र 2.5 अंकों से चूक गए। अंतिम पाँच मिनटों में जल्दबाज़ी में 5 प्रश्न गलत हो गए, जिससे वे प्रीलिम्स पास नहीं कर पाए। GS में अच्छे अंक लाने के बावजूद CSAT के कारण वे मेन्स के लिए योग्य नहीं हो सके।
इसके बाद वे आर्थिक तंगी के कारण अहमदाबाद लौटे। उनके कज़िन कौशल ने पहले कोचिंग और रहने का खर्च उठाया, लेकिन बार-बार मदद मांगने में उन्हें शर्म आने लगी। तीन महीने की तैयारी के लिए स्मित ने दिल्ली लौटकर एक कोचिंग संस्थान में काउंसलर की नौकरी भी की।
इस बार, उन्होंने CSAT पर विशेष ध्यान दिया। पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों पर फोकस किया, मॉक टेस्ट दिए, और परीक्षा का अभ्यास भोजन के दौरान भी करते रहे। 2024 में चुनावों के कारण प्रीलिम्स 20 दिन आगे बढ़ा, जो उनके लिए वरदान साबित हुआ।
दूसरे प्रयास में स्मित ने UPSC-CSE 2024 में ऑल इंडिया रैंक 30 हासिल कर ली — और बन गए IAS अधिकारी!
यह सफलता सिर्फ उनकी नहीं थी, यह एक परिवार की मेहनत, त्याग और प्रेम का परिणाम थी। स्मित ने भावुक होकर कहा, “मैं पप्पा से वादा करता था कि अब आप नहीं करेंगे काली मजदूरी। अब आपकी बारी है आराम करने की।”
उनके पिता हसमुख पंचाल ने खुशी जताई—“बयान नहीं कर सकता कि बेटे ने कितनी खुशी दी है। हमारे परिवार में पहली बार कोई IAS बना है। अब तो साथी कहते हैं, ‘आपको अब सर कहना पड़ेगा!’”
हालाँकि, हसमुख अब भी खुद को व्यस्त रखना चाहते हैं। “मैं बेकार नहीं बैठ सकता, खाली शरीर बेकार हो जाता है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।
अहमदाबाद की गलियों में अब लोहे की ठनक नहीं, ढोल-नगाड़ों और फूलों की महक है। जिन लोगों ने कभी हतोत्साहित किया था, वही अब फूल लेकर बधाई देने आ रहे हैं। स्मित अब मसूरी रवाना होने की तैयारी में हैं — जहाँ लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में उनकी IAS ट्रेनिंग शुरू होगी।
सच में, यह सिर्फ एक परीक्षा पास करने की कहानी नहीं, बल्कि सपनों के सच होने की दास्तान है।
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