मुंबई — मुंबई की पहचान बन चुकीं रेड BEST बसों को लेकर एक गंभीर सच्चाई सामने आई है। पिछले पांच वर्षों में इन बसों से जुड़ी 834 दुर्घटनाओं में 88 लोगों की जान चली गई, जबकि सैकड़ों घायल हुए। ये आंकड़े न सिर्फ एक चेतावनी हैं, बल्कि उन परिवारों के दुख की दास्तान भी बयान करते हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) उपक्रम ने इन हादसों के पीड़ितों और उनके परिवारों को 42.40 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। वरिष्ठ परिवहन अधिकारी एगल बेंजामिन द्वारा साझा किए गए डेटा के मुताबिक, हादसों का बढ़ता आंकड़ा सड़क सुरक्षा और BEST की परिचालन जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
BEST और निजी ठेकेदारों की बसें हादसों में शामिल
रिपोर्ट के अनुसार, 834 दुर्घटनाओं में से 352 हादसे सीधे BEST द्वारा संचालित बसों से जुड़े थे, जिनमें 51 लोगों की मौत हुई। वहीं, निजी ठेकेदारों द्वारा चलाई जा रही बसों के कारण 482 हादसे हुए, जिनमें 37 जानें गईं। खासतौर पर वर्ष 2022-23 और 2023-24 में सबसे ज्यादा, यानी 21-21 मौतें दर्ज की गईं।
यह प्रवृत्ति यात्रियों और पैदल चलने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और प्रभावी उपायों की मांग करती है।
मुआवजा तो मिला, लेकिन सवाल बरकरार
पिछले पांच वर्षों में 494 मामलों में पीड़ितों को 42.40 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। सबसे अधिक मुआवजा वर्ष 2022-23 में 107 मामलों में 12.40 करोड़ रुपये के रूप में दिया गया। अन्य वर्षों में भी करोड़ों रुपये मुआवजे के रूप में वितरित किए गए, लेकिन जानकार मानते हैं कि आर्थिक मदद जीवन के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती।
लापरवाही पर कार्रवाई, लेकिन क्या काफी है?
BEST प्रशासन ने हादसों में कर्मचारियों की लापरवाही पर सख्त कदम उठाए हैं। बीते पांच सालों में 12 कर्मचारियों को घातक दुर्घटनाओं के कारण बर्खास्त किया गया, जबकि 24 कर्मचारियों को निलंबित किया गया। चेतावनी देना, हर्जाना वसूलना और पदावनति जैसे अन्य दंडात्मक कदम भी उठाए गए हैं।
हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि सतही कार्रवाई से आगे बढ़कर संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है।
मुंबईकरों की जरूरत: सुरक्षित और विश्वसनीय परिवहन
BEST बसें लाखों मुंबईकरों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। परंतु बार-बार होने वाले हादसे इस सार्वजनिक सेवा के गहरे संकट की ओर इशारा करते हैं। ड्राइवरों की थकान, भीड़भाड़, बसों का रखरखाव और ट्रैफिक प्रबंधन में चूक अक्सर जानलेवा साबित होती है।
अनिल गलगली कहते हैं, "यह केवल मुआवजे का मुद्दा नहीं है; हर दुर्घटना हमारे सुरक्षा तंत्र की विफलता का प्रमाण है।"
वे ड्राइवरों के प्रशिक्षण को बेहतर बनाने, सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने और बसों के नियमित रखरखाव पर बल देते हैं।
क्या BEST दे पाएगी सुरक्षा की गारंटी?
मुंबई जैसी महानगरी में, जहां हर दिन लाखों लोग सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर हैं, यात्री सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। हालांकि मुआवजा एक आवश्यक पहलू है, लेकिन उससे न तो खोए हुए जीवन वापस आ सकते हैं और न ही परिवारों के दर्द को कम किया जा सकता है।
अब वक्त है कि BEST यात्री सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए और इस चुनौती का सामना करे। क्या BEST इस परीक्षा में खरा उतर पाएगा? यह आने वाला समय बताएगा।
0 टिप्पणियाँ