उपराष्ट्रपति जेडी वेस के भारत दौरे के बीच पहलगाम में आतंकी हमला ,पाकिस्तान की कश्मीरी मुद्दे को जिंदा रखने की साजिश ?




नई दिल्ली/श्रीनगर। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को अनसुलझा दिखाने की एक कायराना साजिश के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस हमले के जरिए पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह जताने की कोशिश की है कि अनुच्छेद 370 हटने और राज्य में शांति बहाली के बावजूद कश्मीर समस्या अब भी जीवित है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सिर्फ भारत के भीतर अस्थिरता फैलाने का प्रयास नहीं था, बल्कि पाकिस्तान के भीतर, खासकर बलूचिस्तान जैसे इलाकों में बढ़ते असंतोष और सेना के प्रति अविश्वास को दबाने का भी एक तरीका था।

कश्मीर में बदला माहौल और पाकिस्तान की बेचैनी

पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर घाटी में माहौल तेजी से बदला है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या, हुर्रियत जैसे अलगाववादी संगठनों का प्रभाव खत्म होना और पारदर्शी चुनावों के जरिए उमर अब्दुल्ला सरकार की वापसी ने दुनिया को यह संकेत दिया था कि कश्मीर अब सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है।
भारत ने भी कश्मीर विवाद को केवल पाक-अधिकृत कश्मीर की वापसी तक सीमित कर दिया था। आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भागीदारी लगभग खत्म हो चुकी है, और नए युवा आतंकवाद तथा अलगाववाद से दूरी बना रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान की ओर से सीमापार से भेजे गए आतंकियों के जरिए छिटपुट घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है।

आर्थिक खुशहाली को निशाना बनाने की कोशिश

पर्यटन में वृद्धि ने जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। स्थानीय लोगों को मिल रहे रोजगार और क्षेत्र में लौटती खुशहाली पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है। इसीलिए आतंकी हमले कर पर्यटकों को निशाना बनाकर पाकिस्तान, क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।

सेना की पकड़ बचाने की रणनीति

इस घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसीम मुनीर की भूमिका भी चर्चा में है। माना जा रहा है कि भारत की ओर से किसी भी कड़ी कार्रवाई की आशंका के बीच जनरल मुनीर पाकिस्तान में सेना की कमजोर होती पकड़ को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। हाल ही में उनके द्वारा दिए गए भाषण में हिंदू-मुस्लिम पहचान को लेकर दिए गए बयान को भी पाकिस्तान को एकजुट करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि 2019 में पुलवामा हमले के समय जनरल मुनीर ही ISI प्रमुख थे और भारत द्वारा एयर स्ट्राइक के बाद उन्हें पद से हटाया गया था। अब सेनाध्यक्ष के रूप में उनकी पुरानी रणनीति फिर सामने आ रही है।

इतिहास से सबक नहीं ले रहा पाकिस्तान?

ऐसा पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने भारत-अमेरिका के बढ़ते संबंधों के बीच आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश की है। वर्ष 2000 में भी, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान चिट्ठीसिंहपुरा में 36 सिखों की नृशंस हत्या कर दी गई थी।

अब जब उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में हैं, उसी समय पहलगाम में पर्यटकों पर हमला एक बार फिर इसी पुराने पैटर्न की पुनरावृत्ति है। हालांकि 2000 और 2025 के भारत और वैश्विक स्थिति में काफी फर्क है।

आज अमेरिका और दुनिया आतंकवाद के प्रति कहीं अधिक सख्त रुख अपनाए हुए हैं। हाल ही में इजरायल में हमास के हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय का रवैया इसका प्रमाण है। ऐसे में पहलगाम हमले के बाद भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई पाकिस्तान को भी हमास जैसी वैश्विक अलगाव की स्थिति में धकेल सकती है ।


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