वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई: याचिकाओं का अंबार, केंद्र का कैविएट
आज, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून को लेकर एक महत्वपूर्ण सुनवाई होने जा रही है। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर विचार करेगी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इस विवादास्पद कानून की वैधानिकता को चुनौती देते हुए 20 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से ज्यादातर याचिकाएं इस नए कानून के विरोध में हैं, जबकि कुछ याचिकाएं इसका समर्थन भी कर रही हैं। इतना ही नहीं, दो याचिकाएं तो वक्फ के मूल कानून, यानी वक्फ एक्ट 1995 को ही रद्द करने की मांग कर रही हैं।
आज की सुनवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि कुछ याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक लगाने का आग्रह किया गया है। हालांकि, केंद्र सरकार भी पूरी तरह से सतर्क है और उसने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल की है। इस कैविएट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शीर्ष अदालत कोई भी एकतरफा सुनवाई करके कोई अंतरिम आदेश पारित न करे, बल्कि आदेश देने से पहले सरकार का पक्ष भी सुने।
**वक्फ कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वाले प्रमुख याचिकाकर्ता:**
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ आवाज उठाने वालों में कई प्रमुख नाम शामिल हैं, जिनमें:
* ऑल इंडिया मजलिसे एत्याहादुल मुस्लमीन (एआइएमएएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
* कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
* कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी
* जीमयत उलमा ए हिन्द के प्रेसिडेंट अरशद मदनी
* आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड
* एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
इनके अतिरिक्त, राजद सांसद मनोज झा, द्रमुक सांसद ए.राजा, समस्त केरल जमीयतुल उलमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया, इंडियन मुस्लिम लीग, अंजुम कादरी, तैयब खान, एपीसीआर (नागरिक अधिकार संरक्षण संघ), तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्ला खान और वाइसआर कांग्रेस पार्टी ने भी याचिकाएं दाखिल कर वक्फ संशोधन कानून 2025 को निरस्त करने की मांग की है।
**इन राज्यों ने किया वक्फ कानून का समर्थन:**
वहीं दूसरी ओर, सात राज्यों - राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, असम, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर वक्फ संशोधन कानून का पुरजोर समर्थन किया है।
**वक्फ एक्ट 1995 को भी दी गई चुनौती:**
मामला यहीं नहीं थमता। सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उत्तर प्रदेश की निवासी पारुल खेड़ा ने एक कदम आगे बढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वक्फ कानून 1995 को ही हिंदुओं और गैर-मुसलमानों के साथ भेदभावपूर्ण बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
इन दोनों याचिकाओं में यह भी महत्वपूर्ण मांग की गई है कि अदालत यह स्पष्ट रूप से घोषित करे कि वक्फ कानून के तहत जारी होने वाले किसी भी आदेश, निर्देश या अधिसूचना का प्रभाव हिंदुओं और गैर-मुसलमानों की संपत्ति पर नहीं पड़ेगा।
**वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को खत्म करने की मांग क्यों?**
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं का मुख्य जोर इस नए कानून के प्रावधानों को रद्द करने पर है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि वक्फ संशोधन कानून 2025 भारत के संविधान में निहित समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का सीधा उल्लंघन करता है। इसके अतिरिक्त, याचिकाओं में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुसलमानों को शामिल करने के प्रावधान का भी कड़ा विरोध किया गया है।
आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली यह सुनवाई इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत याचिकाओं पर क्या रुख अपनाती है और क्या वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर कोई अंतरिम रोक लगाई जाती है या नहीं। इस खबर पर हमारी नजर बनी रहेगी और हम आपको आगे के अपडेट से अवगत कराते रहेंगे।
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