1940 के दशक में, जब भारत ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, उसी समय एक नौजवान, देव आनंद, सपनों की नगरी मुंबई (उस समय बम्बई) पहुंचे थे। उनका सपना था बॉलीवुड में एक बड़ा नाम कमाना। और उन्होंने इसे सच कर दिखाया।
फिल्मों में पहला कदम
देव आनंद की पहली फिल्म 'हम एक हैं' थी, जो 1946 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म आज़ादी से एक साल पहले सिनेमाघरों में आई थी। इस फिल्म में उन्होंने एक छोटे से रोल से अपनी शुरुआत की थी, लेकिन उनकी आकर्षक मुस्कान, अनोखी स्टाइल और अभिनय की सहजता ने जल्द ही फिल्म निर्माताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा।
इस शुरुआती दौर में, देव आनंद ने कई चुनौतियों का सामना किया। न तो उनके पास कोई गॉडफादर था और न ही कोई फिल्मी बैकग्राउंड। लेकिन उनकी इच्छाशक्ति इतनी मजबूत थी कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वे छोटे-मोटे रोल्स करते रहे और हर फिल्म के साथ अपने अभिनय को निखारते रहे।
आजादी के बाद मिली बड़ी सफलता
आज़ादी के बाद, 1948 में उनकी फिल्म 'जिद्दी' ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। यह फिल्म उनकी पहली बड़ी व्यावसायिक सफलता थी और यहीं से उनका स्वर्णिम युग शुरू हुआ। इस फिल्म के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई सुपरहिट फिल्में दीं।
देव आनंद सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक दूरदर्शी कलाकार थे। उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी नवकेतन फिल्म्स की शुरुआत की और अपनी फिल्मों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को भी उठाया।
तो, अगली बार जब आप देव आनंद की कोई फिल्म देखें, तो याद रखिएगा कि उनका सफर सिर्फ आजादी के बाद का नहीं, बल्कि उससे पहले ही शुरू हो चुका था। वो एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने न सिर्फ भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयां दीं, बल्कि अपनी एक खास छाप भी छोड़ी जो आज भी कायम है।
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