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मुलुंड में पार्किंग विवाद: 40 दिन से क्लैम्प में फंसी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कार और बाइक।


सोसायटी और निवासी आमने-सामने, पुलिस अब तक नाकाम

मुलुंड (पश्चिम) के वैशाली नगर स्थित लोक-निसर्ग सोसायटी में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर सचिन कपूरे पिछले 40 दिनों से अपनी कार और बाइक छुड़ाने के लिए पुलिस और सोसायटी से गुहार लगा रहे हैं। आरोप है कि सोसायटी प्रबंधन ने उनकी गाड़ी और बाइक को क्लैम्प कर दिया है और अब तक हटाया नहीं गया।

निवासी का आरोप – "सोसायटी के पास कोई अधिकार नहीं"

कपूरे का कहना है कि वाहनों को क्लैम्प करने का अधिकार सिर्फ ट्रैफिक पुलिस को है, न कि सोसायटी को। उन्होंने बताया कि सोसायटी ने उनसे बकाया रख-रखाव शुल्क (Maintenance) और जुर्माना वसूलने के नाम पर ₹31,000 का पार्किंग फाइन और ₹6,000 का जैमर फाइन थोप दिया है।

सचिन ने कहा,

“मैंने सोसायटी के अधिक वसूली वाले बिलों के खिलाफ एक साल से मेंटेनेंस देना बंद किया। इसके बावजूद मुझे पार्किंग से वंचित कर दिया गया और गाड़ी ज़ब्त कर ली गई। लंबे समय से क्लैम्प लगे रहने से मेरी गाड़ियां खराब हो गई हैं, इसकी भरपाई समिति को करनी चाहिए।”

पुलिस भी बेबस?

सचिन ने मुलुंड पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि शिकायत दर्ज करने के बावजूद पुलिस ने गाड़ी छुड़वाने में मदद नहीं की।
वरिष्ठ निरीक्षक अजय जोशी ने बताया कि सोसायटी ने उन्हें एजीएम (सामान्य सभा) के निर्णय और 160 सदस्यों के हस्ताक्षर दिखाए हैं, जिसमें क्लैम्पिंग को मंजूरी दी गई थी। पुलिस ने अब यह मामला उप-पंजीयक (Deputy Registrar) को सौंपा है।

कानूनी विशेषज्ञ की राय

वॉचडॉग फाउंडेशन के ट्रस्टी एडवोकेट गॉडफ्रे पिमेंटा का कहना है कि यह मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 127 के तहत ग़लत तरीके से रोकने (Wrongful Confinement) जैसा है और पुलिस को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

सोसायटी का पलटवार

सोसायटी सचिव संजय कुक्कियन ने आरोप लगाया कि सचिन कपूरे खुद डिफॉल्टर हैं और महीनों से मेंटेनेंस व पार्किंग चार्ज नहीं दे रहे।
कुक्कियन ने कहा,

“AGM में सभी सदस्यों ने तय किया कि केवल वही निवासी पार्किंग स्लॉट पाएंगे जो नियमित भुगतान करेंगे। कपूरे पांच महीने से दूसरे सदस्य की पार्किंग जबरन घेरकर बैठे हैं और बार-बार विवाद करते हैं। हमारे पास उनके खिलाफ कई शिकायतें हैं, जिन्हें पुलिस और रजिस्ट्रार को सौंप दिया गया है।”

फिलहाल स्थिति

220 फ्लैट्स वाली इस सोसायटी में पार्किंग विवाद पुराना है। समिति का कहना है कि नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाना ज़रूरी था, जबकि कपूरे का आरोप है कि सोसायटी की कार्रवाई गैर-कानूनी है। अब सबकी निगाहें उप-पंजीयक की रिपोर्ट और पुलिस की आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं।


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