मुंबई। मुंबई के वर्ली स्थित बीडीडी चॉल पुनर्विकास परियोजना ने एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) के मुताबिक, पहले चरण के तहत 556 आधुनिक फ्लैट 14 अगस्त को पात्र निवासियों को सौंपे जाएंगे।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सुबह 11 बजे माटुंगा पश्चिम स्थित यशवंत नाट्य मंदिर में आयोजित समारोह में इन घरों की चाबियां बांटेंगे। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार भी मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर मुंबई उपनगर के पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, राज्य के मंत्री अशिष शेलार, डॉ. पंकज भोयर और MHADA के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे।
यह पुनर्विकास योजना एशिया की सबसे महत्वाकांक्षी शहरी नवीनीकरण परियोजनाओं में से एक है, जिसके तहत वर्ली की 121 पुरानी चॉलों के 9,689 निवासियों का पुनर्वास किया जा रहा है। पहले चरण में बिल्डिंग नंबर 01 के डी और ई विंग का काम पूरा हुआ है। फिलहाल 160 वर्ग फुट कमरों में रहने वाले परिवारों को अब 500 वर्ग फुट के पूरी तरह सुसज्जित 2BHK फ्लैट मिलेंगे, वह भी बिना किसी लागत के और स्वामित्व के साथ।
नई इमारतों में फायर सेफ्टी सिस्टम, ब्रांडेड फिटिंग्स, तीन पैसेंजर लिफ्ट, एक स्ट्रेचर लिफ्ट, एक फायर लिफ्ट और पॉडियम स्टाइल पार्किंग की सुविधा दी गई है। हर फ्लैट के साथ एक पार्किंग स्पेस, सातवीं मंजिल पर गार्डन, विट्रिफाइड टाइल फ्लोरिंग, ग्रेनाइट किचन प्लेटफॉर्म, एल्यूमीनियम फ्रेम वाली खिड़कियां और उच्च गुणवत्ता की प्लंबिंग भी उपलब्ध होगी।
पूरे प्रोजेक्ट में स्कूल, जिम, अस्पताल, हॉस्टल, वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स, सोलर एनर्जी सिस्टम, वर्षा जल संचयन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसी सुविधाएं भी शामिल होंगी। MHADA इन इमारतों का रखरखाव 12 साल तक करेगा।
इतिहास को संरक्षित रखने के लिए जंबोरी मैदान और अंबेडकर मैदान को सुरक्षित किया जाएगा और चॉलों की विरासत पर आधारित एक म्यूज़ियम भी बनाया जाएगा।
MHADA के उपाध्यक्ष और सीईओ संजीव जायसवाल के नेतृत्व में परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है। दिसंबर 2025 तक वर्ली, नायगांव (दादर) और एन एम जोशी मार्ग (परल) स्थित बीडीडी चॉलों में कुल 3,989 फ्लैट पूरे होने की उम्मीद है।
जिन निवासियों के घर अभी बन रहे हैं, उन्हें अस्थायी आवास या ₹25,000 प्रतिमाह अग्रिम किराया 11 महीने के लिए दिया जा रहा है। पूरा प्रोजेक्ट करीब 86 एकड़ में फैला है, जिसमें वर्ली, परल और नायगांव की 207 चॉलें शामिल हैं। कुल 15,593 परिवारों का पुनर्वास इस योजना के तहत किया जाएगा।
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