1. समोसे से शुरू हुआ सफर, अब ब्रांड बन चुका 'गुरु कृपा'
मुंबई के सायन में 1975 में स्थापित ‘गुरु कृपा’ की शुरुआत एक साधारण ठेले से हुई थी। संस्थापक विषिंदास वाधवा, जो बंटवारे के समय पाकिस्तान से भारत आए थे, ने 1960 के दशक के अंत में समोसे बेचने से अपने सफर की शुरुआत की थी। कुछ ही वर्षों में उन्होंने 'गुरु कृपा' नाम से एक दुकान खोली, जो धीरे-धीरे पूरे मुंबई में मशहूर हो गई।
2. सेव बर्फी से लेकर टिक्की छोले तक, हर स्वाद का ठिकाना
गुरु कृपा को खास पहचान मिली उसके स्वादिष्ट समोसे, टिक्की छोले और सिंधी स्पेशियल मिठाई 'सेव बर्फी' के लिए। खोये और सेव से बनी यह मिठाई यहां की शान मानी जाती है। वर्षों से यहां के जायकों की चर्चा पूरे शहर में होती रही है।
3. साउथ मुंबई वालों की मांग हुई पूरी, चारणी रोड पर खुला पहला ब्रांच
50वीं वर्षगांठ के मौके पर, तीसरी पीढ़ी के कस्टोडियन भरत और सुनैना ने दक्षिण मुंबईवासियों की सालों पुरानी शिकायत दूर कर दी। अब 'गुरु कृपा' का पहला नया ब्रांच चारणी रोड स्थित रॉयल ओपेरा हाउस के पास खुल चुका है।
4. आधुनिक लुक और दक्षिण मुंबई को समर्पित दीवार
चारणी रोड का नया 800 वर्गफुट का आउटलेट सिर्फ मिठाई रिटेल और डिलीवरी के लिए है। इसकी सजावट में एक "मिठाई ट्रक", गिफ्ट हैम्पर काउंटर और "वॉल ऑफ फेम" शामिल है जिसमें सेलिब्रिटी विज़िटर्स की तस्वीरें और ब्रांड की यादगार झलकियाँ दी गई हैं। एक दीवार पर एशियाटिक लाइब्रेरी, सीएसटी और बीएमसी भवन की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें लगाई गई हैं — जिसे 'साउथ बॉम्बे को समर्पण' बताया गया है।
5. केवल टेकअवे और डिलीवरी, समोसे-स्नैक्स की भरमार
नया आउटलेट पूरी तरह टेकअवे और डिलीवरी पर केंद्रित है। यहां जैन-फ्रेंडली स्नैक्स जैसे छोले टिक्की, सैंडविच, सिंधी डिश 'दाल पकवान', और मिठाइयों में गुलाब जामुन, शुगर-फ्री खजूर मिठाई, और नया 'बिस्कॉफ़ बर्फी' खूब पसंद किए जा रहे हैं।
6. राज कपूर से लेकर अमिताभ बच्चन तक, सब थे समोसे के दीवाने
गुरु कृपा के समोसों का क्रेज इतना था कि राज कपूर और दिलीप कुमार इसके नियमित ग्राहक थे। अमिताभ बच्चन के ‘कूली’ फिल्म के दौरान घायल होने पर वाधवा साहब ने उनकी सलामती की दुआ में समोसे बांटे थे। जब ये बात अमिताभ को पता चली तो उन्होंने खुद आकर समोसे खाए और उन्हें अपना पसंदीदा बताया।
7. पहले ही दो दिन में बिके 2000 समोसे
भरत ने बताया कि नए ब्रांच के पहले ही दिन 1000 समोसे बिके, और दूसरे दिन भी यही आंकड़ा रहा। "यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि दादाजी की शुरू की गई परंपरा को अब एक नए मुकाम पर पहुंचा रहे हैं," उन्होंने भावुक होकर कहा।
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