मुंबई | टाइम्स ऑफ इंडिया – महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मोड़ आया है। करीब दो दशकों बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ एक ही मंच पर नजर आने वाले हैं। वजह है स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किए जाने का प्रस्ताव, जिसके खिलाफ दोनों नेता अब साझा विरोध करने जा रहे हैं।
अब तक दोनों नेता इस मुद्दे पर अलग-अलग रैली निकालने वाले थे — राज ठाकरे ने 6 जुलाई और उद्धव ठाकरे ने 7 जुलाई को रैली का ऐलान किया था। लेकिन अब शिवसेना (यूबीटी) के नेता और सांसद संजय राउत ने घोषणा की है कि यह विरोध अब संयुक्त रूप से 5 जुलाई को किया जाएगा।
संजय राउत ने कहा, "हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जबरन थोपी जा रही भाषा का हम विरोध करते हैं।"
उन्होंने यह भी जोड़ा कि, "राज और उद्धव ठाकरे दोनों ने स्वतंत्र रूप से इस विषय पर सख्त रुख अपनाया था। लेकिन दो अलग-अलग रैलियों का कोई मतलब नहीं बनता। इसलिए मैंने उद्धव जी से चर्चा की और अब एक ही रैली की योजना है।"
रैली की स्थान और समय को लेकर फिलहाल फैसला नहीं हुआ है, लेकिन दोनों पार्टियों – शिवसेना (यूबीटी) और मनसे – के वरिष्ठ नेता इसमें शामिल होंगे।
यह पहली बार होगा जब 2006 में अलग होने के बाद राज और उद्धव ठाकरे किसी मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से एक साथ खड़े होंगे। याद रहे, राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना की थी।
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