भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के ऐलान के बाद सीमा पर हालात सामान्य हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में बीती रात शांति बनी रही। हालांकि, इस सीजफायर के पीछे की कहानी कुछ और ही संकेत देती है।
परमाणु हथियारों की जद में आया पाकिस्तान
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा की गई गोलीबारी और ड्रोन हमलों के जवाब में भारतीय सेना ने कड़ी कार्रवाई की। बताया जा रहा है कि इन हमलों में पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस को निशाना बनाया गया, जो रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय के पास स्थित है। यही एयरबेस पाकिस्तान की एयर फोर्स के एयर मोबिलिटी कमांड और परमाणु कमांड सेंटर का मुख्य ठिकाना माना जाता है।
सटीक हमले से बढ़ी चिंता
10 मई की सुबह भारतीय सेना ने इस एयरबेस के पास एक सटीक हमला किया, जिसमें संभवतः ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले ने पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त करते हुए एयरबेस को गंभीर नुकसान पहुंचाया। इससे पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों और सेना में खलबली मच गई।
सीजफायर की पहल पाक की ओर से
सूत्रों के अनुसार, भारत के इस हमले से पाकिस्तान की राष्ट्रीय कमांड अथॉरिटी को खतरा महसूस हुआ। यही संस्था देश के परमाणु हथियारों की निगरानी करती है। ऐसे में पाकिस्तान को यह डर सताने लगा कि यदि हालात और बिगड़े, तो उसका परमाणु जखीरा पूरी तरह बेअसर हो सकता है। इसी आशंका के चलते पाकिस्तानी DGMO ने भारत से संपर्क कर सीजफायर की पेशकश की।
अब भी जारी है दबाव
भले ही सीजफायर लागू हो गया हो, लेकिन भारत की ओर से सिंधु जल समझौते की समीक्षा और आर्थिक दबाव बनाए रखने की रणनीति से पाकिस्तान पर तनाव बना हुआ है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने पहली बार स्पष्ट संदेश दिया है कि वह परमाणु हमले की धमकियों से डरने वाला नहीं है, बल्कि जरूरत पड़ने पर वह जवाब देने की पूरी क्षमता रखता है।
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